सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंगका ने इंस्टाग्राम पर एक वायरल वीडियो में हाल ही में बॉर्नविटा पर हमला किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाए कि इसमें शामिल तत्त्व उतने स्वस्थकारी नहीं हैं जितना ब्रांड दावा करता है। हिमतसिंगका का इंस्टाग्राम हैंडल फूडफार्मर के नाम से है और उन्होंने उस विवादास्पद रील में कहा कि इनमें से कुछ तत्त्व पूरी तरह से हानिकारक है। बॉर्नविटा ने तुरंत उन्हें कानूनी नोटिस दिया और इसके बाद हिमतसिंगका को यह वीडियो हटाना पड़ा। हालांकि, इस प्रकरण से एक बार फिर स्वास्थ्य और वेलनेस से जुड़े इन्फ्लुएंसर सुर्खियों में आ गए हैं जिनके हजारों फॉलोअर हैं। मिसाल के तौर पर, हिमतसिंगका के 134,000 फॉलोअर हैं।
एक इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कंपनी जेफमो की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दुनिया के मुकाबले इन्फ्लुएंसर (वैसे प्रभावशाली लोग जिनके फॉलोअर ज्यादा हैं और उनके वीडियो रील वायरल होते हैं) लोगों का सबसे बड़ा आधार है। वर्ष 2023 के अंत तक इनकी संख्या 10 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का संगठित क्षेत्र वित्त वर्ष 2023-24 में 3,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लेगा जिसमें इन छोटे स्तर के इन्फ्लुएंसर की राजस्व हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 के 9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 14 प्रतिशत हो जाएगी।
हालांकि किसकी कितनी हिस्सेदारी है इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन इस तंत्र में एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बात करने वाले इन्फ्लुएंसर का है जो नियमित तौर पर अपनी सलाह और सुझाव देते हैं और इसके साथ ही अपने व्यापक फॉलोअर के लिए उत्पादों की सिफारिश भी करते हैं। इस श्रेणी का दायरा बढ़ने के साथ ही इस पर अब सरकार की निगाहें हैं। हाल ही में बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए एक साक्षात्कार में उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि सरकार नए दिशानिर्देशों के साथ स्वास्थ्य और वेलनेस इन्फ्लुएंसर को नियमन के दायरे में लाने पर विचार कर रही है।
इन प्रस्तावित दिशानिर्देशों की वजह से इन्फ्लुएंसर को स्वास्थ्य और वेलनेस पर सलाह देने के लिए अपनी योग्यता का खुलासा करना और उसे प्रमुखता से दर्शाना भी जरूरी होगा।
लाइफ कोच मिकी मेहता का कहना है कि यह कदम स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा, ‘सरकार को इन इन्फ्लुएंसर पर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए जो तुरंत सलाह देते हैं और पैसे लेकर किसी ब्रांड या सामान की सिफारिश करते हैं।’ वह कहते हैं कि वह खुद हर महीने कम से कम तीन-चार ब्रांडो के प्रचार-प्रसार के ऑफर ठुकरा देते हैं क्योंकि उनका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वह वे प्रोटीन का उदाहरण देते हैं जिसकी सिफारिश अक्सर शरीर को मजबूत करने के लिए प्रभावशाली लोग करते हैं।