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Opinion: अमेरिका में मंदी की आशंका और बाजार का प्रदर्शन

कहा जा रहा है कि मूल्य संबंधी कदम और बाजार व्यवहार में भविष्य के संकट की कोई आहट नहीं नजर आती।

Last Updated- August 02, 2023 | 9:33 PM IST
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बाजार के आश्चर्यजनक रूप से मजबूत प्रदर्शन के बीच निवेशक अमेरिका में मंदी की संभावनाओं पर प्रश्न उठा रहे हैं। इतिहास बताता है कि अभी सतर्क रहने की आवश्यकता है। बता रहे हैं आकाश प्रकाश

वर्ष 2023 की पहली छमाही में दुनिया भर में जोखिम वाली परिसंपत्तियों के प्रदर्शन और अमेरिकी अर्थव्यवस्था तथा रोजगार बाजार में बनी मजबूती के बाद कई निवेशक इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या वाकई 2023 के अंत तक अथवा 2024 के आरंभ में वहां मंदी आ सकती है। कहा जा रहा है कि मूल्य संबंधी कदम और बाजार व्यवहार में भविष्य के संकट की कोई आहट नहीं नजर आती।

वॉल स्ट्रीट के अधिकांश बैंकों ने भी मंदी की अपनी संभावनाओं को कम कर दिया है और अब माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था को बहुत अधिक झटका नहीं लगेगा। इस परिदृश्य में डॉयचे बैंक ने एक दिलचस्प विश्लेषण किया है और यह बताया है कि अमेरिका के बाजारों ने मंदी के पहले ऐतिहासिक रूप से कैसा व्यवहार किया है।

उनका विश्लेषण इस बात पर आधारित है कि अगर हम मंदी की शुरुआत से पहले के छह महीने पहले की स्थिति में हैं यानी मान लें कि मंदी 2023 के अंत या 2024 के आरंभ में आएगी, हम ऐतिहासिक तौर पर बाजार से कैसे व्यवहार की उम्मीद करेंगे? साथ ही क्या हम मौजूदा चक्र में इस पर अमल कर रहे हैं? या फिर क्या बाजारों का आचरण बताता है कि मंदी का कोई खतरा नहीं है?

यह सही है कि 2023 में अब तक जोखिम वाली परिसंपत्तियों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। नैसडैक 30 फीसदी ऊपर है और सन 1983 के बाद यह उसका वर्ष में सबसे बेहतर शुरुआती प्रदर्शन है। 2022 में इसकी शुरुआत बेहद खराब रही थी।

एसऐंडपी 500 भी 16 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहा है। डीएएक्स, निक्केई या एमएससीआई ईएम आदि सभी प्रमुख शेयर बाजार वर्ष के दौरान 12 से 15 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहे हैं। सभी तयशुदा आय बाजार भी ऐसा ही प्रदर्शन कर रहे हैं। 2023 में गिरावट वाला एकमात्र परिसंपत्ति वर्ग है जिंस और तेल। पिछले वर्ष जिंस के अलावा वित्तीय परिसंपत्तियां, बॉन्ड और शेयर आदि सभी 20 फीसदी से अधिक गिरावट पर थे।

निवेशकों को यह प्रश्न करने की आवश्यकता है कि क्या यह बाजारों में एक नया दौर है, एक नई तेजी और क्या 2022 की गिरावट बाजारों को उच्च दरों के नए दौर में ले जाने के लिए पर्याप्त थी। क्या 15 वर्ष की शून्य दरों और बढ़ती नकदी को एक वर्ष में समायोजित किया जा सकता है?

वैकल्पिक तौर पर जब 2022 के आरंभ से परिसंपत्ति के प्रतिफल पर नजर डाली जाए तो तस्वीर अलग नजर आती है। अधिकांश वित्तीय परिसंपत्तियां अभी भी नकारात्मक है। एसऐंडपी 500 अभी भी 6-7 फीसदी नीचे है, नैसडैक 10 फीसदी से अधिक तथा एमएससीआई-ईएम 15 फीसदी तक नीचे है। विकसित देशों की तयशुदा आय वाली परिसंपत्तियां भी गिरावट पर हैं।

तो क्या यह मंदी के बाजार की तेजी है जहां ढांचागत उच्च दरों को समायोजित किया जा रहा है या फिर यह तेजी के दौर की शुरुआत है? अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है।

बाजार के व्यवहार के प्रश्न की बात करें तो मंदी के पहले के समय के ऐतिहासिक आंकड़ों के अध्ययन से भी मिलीजुली तस्वीर सामने आती है।
शेयरों की बात करें तो ऐतिहासिक तौर पर मंदी के पहले के 12 महीनों के दौरान बाजार औसतन स्थिर रहे हैं। मंदी के आगमन के दो-तीन महीने पहले ही उनमें गिरावट आनी शुरू हुई। अगर अमेरिका में 2023 के अंत में मंदी आनी है तो बाजार इस वर्ष के मानक की तुलना में काफी मजबूत रहे हैं।

ऐतिहासिक रूप से स्थिर रहने के बजाय वे दो अंकों में दिख रहे हैं। ऐसा 2020 में शेयर कीमतों में भारी गिरावट के कारण हो सकता है। इस तरह देखें तो 24 महीनों के आधार पर वे स्थिर हैं। एक वैकल्पिक स्पष्टीकरण यह है समान वजन वाले एसऐंडपी पर नजर डालें तो बाजार प्राय: स्थिर नजर आ रहे हैं।

समान भार वाला एसऐंडपी 500 काफी हद तक उसी ऐतिहासिक रुख पर काम कर रहा है जैसा मंदी के पहले देखने को मिला है। यानी अमेरिकी शेयरों का इस वर्ष का कारोबारी रुझान किसी भी तरह से मंदी की संभावना के साथ विरोधाभासी नहीं है।

बॉन्ड में भी ऐसा ही नजर आता है। मंदी के पहले 10 वर्ष का प्रतिफल बढ़ता नजर आता है और वैसा ही दिख भी रहा है। ऋण का विस्तार भी इस वर्ष शायद ही बढ़ा है। यह भी इतिहास के अनुरूप ही है। ऋण विस्तार तभी शुरू होता है जब मंदी आने को होती है और मंदी के दौरान भी यह जारी रहता है। प्रतिफल कर्व का व्यवहार भी ऐतिहासिक रुझानों के अनुरूप ही है। यानी मंदी की संभावना नजर आ रही है।

तेजड़िए हमेशा सख्त श्रम बाजार की ओर संकेत करते हैं और उसे मंदी से बचाव की वजह बताते हैं। यह सच है कि अमेरिका में बेरोजगारी दर 3.5 फीसदी के साथ अत्यंत निचले स्तर पर है लेकिन तथ्य यह है कि अतीत में भी ऐसे अवसरों पर बेरोजगारी में इजाफा मंदी आने के बाद ही शुरू होता था।

वास्तविक अर्थव्यवस्था के संकेतक मसलन कॉन्फ्रेंस बोर्ड लीडिंग इंडेक्स या आईएसएम मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स पहले ही मंदी वाले क्षेत्र में हैं। बैंकिंग के आंकड़े और ऋण मानकों में सख्ती भी यही बताती है कि आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था में कमजोरी आएगी।

एक आंकड़ा जो उपरोक्त मानकों के विपरीत जाता है वह आवास क्षेत्र से जुड़ा है। आमतौर पर मंदी के करीब छह महीने पहले नए घर बनने कम होने लगते हैं जबकि इस बार उनमें मजबूती आ रही है। लब्बोलुआब यह है कि विपरीत टिप्पणियों के बावजूद अभी मंदी के मोर्चे पर हर आशंका को निर्मूल साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।

अगर आर्थिक मोर्चे पर गिरावट आती है तो बाजार और आय दोनों में गिरावट आएगी। अमेरिका के आय अनुमानों में कोई गिरावट नहीं है जबकि आमतौर पर मंदी के समय आय में 20 फीसदी गिरावट आती है। आज के मूल्यांकन को देखें तो वे आय में गिरावट को झेल नहीं पाएंगे। अमेरिका में वास्तविक दरें भी अब जाकर सकारात्मक हो रही हैं। लेकिन इनका प्रभाव कुछ समय बाद ही महसूस होगा।

अमेरिका मंदी में जाएगा या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन वित्तीय बाजारों पर मंदी का असर निश्चित रूप से नकारात्मक ही होगा। महज इसलिए कि अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी है, यह तय नहीं हो जाता है कि हम मंदी और उसके नकारात्मक प्रभावों से उबर आए हैं।

(लेखक अमांसा कैपिटल से संबद्ध हैं)

First Published - August 2, 2023 | 9:33 PM IST

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