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देश के होटलों में अब कमरों की किल्लत, लोग तेजी से बुक कर रहे होटल

घरेलू स्तर पर पर्यटन में तेजी से महामारी के चलते बनी मंदी की स्थिति से उबरने में मदद मिली है

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सचिन मामपट्टा   
Last Updated- October 01, 2023 | 10:54 PM IST

स्वतंत्रता पूर्व के वर्षों के दौरान और द्वितीय विश्व युद्ध के चलते देखी गई तेजी से पहले एक प्रमुख होटल के कमरे खाली रहने पर ओबरॉय समूह ने इसे बंद करने का इरादा कर लिया था। लेकिन इसके बाद बढ़ी मांग और नकदी (गद्दे के कवर में भरकर लाई हुई) ने इसे होटल क्षेत्र में अपना एक बड़ा साम्राज्य खड़ा करने में मदद की।

कई वर्षों की सुस्ती के बाद पूरे देश भर के होटलों में फिर से लोगों की तादाद बढ़ रही है। दिल्ली में जी20 सम्मेलन के दौरान सितंबर की शुरुआत में शहर के सभी होटलों में अच्छी- खासी बुकिंग की गई थी।

कुछ ऐसा ही रुझान अहमदाबाद में भी देखा गया जब 2023 क्रिकेट विश्व कप कार्यक्रम की घोषणा की गई। महामारी के कारण वित्त वर्ष 2020-21 (वित्त वर्ष 2021) में बुकिंग घटकर 35 प्रतिशत रह गई लेकिन अब होटल कारोबार में बदलाव देखा जा रहा है।

महामारी से पहले तक के पांच वर्षों के दौरान औसत दर 64 प्रतिशत थी। तब से इसमें लगातार सुधार देखा जा रहा है और इस साल बुकिंग की दर अब 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से पहले के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है।

भारतीय लोग होटलों के कमरे की तेजी से बुकिंग कर रहे हैं। जून 2023 को खत्म हुए 12 महीने के दौरान भारत में 84 लाख विदेशी पर्यटक आए। यह जून 2019 को खत्म हुई तुलनात्मक अवधि के 1.07 करोड़ पर्यटकों की तुलना में 21 प्रतिशत कम है। घरेलू पर्यटन में मजबूती बनी हुई है। वर्ष 2022 में भारत आने वाले प्रत्येक विदेशी यात्री पर 200 से अधिक घरेलू पर्यटक थे जबकि यह दर वर्ष 2019 में 74 थी।

घरेलू पर्यटन में तेजी के कारण होटलों के सामने मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं। दुनिया भर में प्रत्येक 1,000 लोगों पर होटल के कमरे की तादाद 2.2 है। भारत में यह आंकड़ा 0.1 तक सीमित है। वहीं चीन में यह संख्या तीन से अधिक है जबकि यह अमेरिका में और भी अधिक है।

वित्तीय सेवा कंपनी जेफरीज की 13 सितंबर को आई और विश्लेषक प्रतीक कुमार द्वारा लिखी इक्विटी रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, नए होटल तैयार होने में 3-5 साल लग सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख क्षेत्रों में नए होटल बनाने के लिए जमीन की कमी है और महंगाई की वजह से निर्माण सामग्री की लागत और मजदूरी का खर्च भी बढ़ रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, सभी कारकों का ध्यान रखते हुए भी नई प्रॉपर्टी को तैयार करने में औसतन 3-5 साल का समय लग सकता है। इस वक्त यह आलम है कि स्थापित होटल पैसे कमा रहे हैं और बाकी लोगों को लंबी कतारों का सामना करना पड़ सकता है।

First Published : October 1, 2023 | 10:54 PM IST