नोमुरा (Nomura) ने भारतीय बाजार के संबंध में अपना रुख ‘न्यूट्रल’ से ‘ओवरवेट’ कर दिया है। एशिया पोर्टफोलियो (जापान को छोड़कर) में ब्रोकरेज ने बेंचमार्क एमएससीआई एशिया एक्स-जापान सूचकांक में भारत के भारांश से 100 आधार अंक अधिक 18.2 प्रतिशत भारांश की सिफारिश की है।
चीन और दक्षिण कोरिया ऐसे दो अन्य बाजार हैं, जिन पर नोमुरा का रुख ओवरवेट है, जबकि सिंगापुर और फिलीपींस के संबंध में अंडरवेट की स्थिति है।
नोमुरा के इक्विटी रणनीतिकार चेतन सेठ, अंशुमान अग्रवाल और अंकित यादव ने एक नोट में कहा है कि भारत की संरचनात्मक स्थिति अब ‘चीन+1’ थीम के प्रमुख लाभार्थी के रूप में जानी जाती है, जिसके पास बड़ा, तरल इक्विटी बाजार है। हम तेल की अधिक कीमतों से प्रेरित हालिया नरमी को जोखिम बढ़ाने के अवसर के रूप में देखते हैं। हालांकि उसकी यह कमजोरी निकट अवधि में जारी रह सकती है, इसलिए हमें लगता है कि शायद यह अवसर बहुत लंबे समय तक उपलब्ध न रहे। मूल्यांकन महंगे हैं, लेकिन नीति/सरकारी निरंतरता के परिदृश्य में ऐसा ही रहने के आसार हैं।
तेल की वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली में उछाल के बीच बेंचमार्क सूचकांक अपने रिकॉर्ड शीर्ष स्तर से तीन प्रतिशत नीचे आ गए हैं।
ब्रोकरेज का रुख उन शेयरों के संबंध में सकारात्मक है, जो ‘उचित सापेक्ष मूल्यांकन’ पर पेशकश कर रहे हैं और जिन्हें घरेलू अर्थव्यवस्था (बैंक और बुनियादी ढांचे वाले शेयर) में वृद्धि से लाभ होने की उम्मीद है।
आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक, एलऐंडटी, रिलायंस, आईटीसी और मेडप्लस कुछ ऐसे शेयर हैं, जिन्हें उसने पसंद किया है। नोमुरा का रुख उन शेयरों के संबंध में भी सकारात्मक है, जिन्हें कुछ संरचनात्मक विषयों, जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में वृद्धि, से लाभ होने की संभावना है। इनमें महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और यूनो मिंडा (जो पहले मिंडा इंडस्ट्रीज थी) शामिल हैं। नोमुरा का कहना है कि तेल की लगातार ऊंची कीमतें, चीन का री-रोटेशन और मई 2024 में आम चुनाव भारतीय बाजार के लिए प्रमुख जोखिम हैं।