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MP Elections: भाजपा के प्रचार अभियान में CM शिवराज चौहान की वापसी

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनाव अभियान की शुरुआत में मोदी और चौहान की यह दोहरी प्रचार रणनीति देखने को नहीं मिल रही थी।

Last Updated- November 14, 2023 | 11:26 PM IST
Madhya Pradesh Sikho Kamao Yojana by Shivraj Singh Chouhan

बुधवार 15 नवंबर की शाम तक मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब डेढ़ दर्जन चुनावी रैलियों और रोड शो को संबोधित कर चुके होंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh) भी बीते एक महीने से प्रचार अभियान में व्यस्त हैं और रोज आठ से 10 सार्वजनिक सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। बहरहाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनाव अभियान की शुरुआत में मोदी और चौहान की यह दोहरी प्रचार रणनीति देखने को नहीं मिल रही थी।

भाजपा ने मध्य प्रदेश में अपने प्रचार की शुरुआत ‘एमपी के मन में मोदी’ थीम के साथ की थी। केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के सात लोकसभा सदस्यों को विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा। इन सात नेताओं में तीन केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। उनके अलावा राष्ट्रीय महासचिव को भी विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा गया।

इसके साथ ही साफ तौर पर यह संदेश दे दिया गया कि चौहान चुनाव में पार्टी का चेहरा नहीं होंगे। 2018 के विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री चौहान ही चुनाव के पहले आयोजित होने वाली ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ का नेतृत्व करते थे लेकिन इस बार पार्टी ने पांच नेताओं के नेतृत्व में इसे आयोजित किया।

राजनीतिक विश्लेषक राकेश दीक्षित कहते हैं, ‘शुरु में केंद्रीय नेतृत्व ने चौहान को पूरी तरह किनारे करने की कोशिश की। हर विधानसभा चुनाव के पहले होने वाली जन आशीर्वाद यात्रा से चौहान को बाहर रखकर पार्टी ने यह संकेत देने की कोशिश भी की कि वह भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं हैं। अपनी आरंभिक रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी ने लाड़ली बहना जैसी चौहान की प्रमुख योजनाओं का उल्लेख करने से भी परहेज किया।’

वहीं अपनी जनसभाओं में चौहान (जो खुद को प्रदेश के बच्चों का मामा कहते हैं) लोगों से यह पूछते नजर आए, ‘मामा को दोबारा मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं?’ जाहिर है इसका जवाब हां में मिलता है।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी को चौहान को चुनाव प्रचार में तब प्रमुखता से शामिल करना पड़ा जब कांग्रेस के जाति जनगणना के वादे ने अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को अपने साथ जोड़ना आरंभ कर दिया। चौहान के सिवा भाजपा के पास मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का दूसरा कोई कद्दावर नेता नहीं है।

शीघ्र ही प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश की जनता के नाम लिखे एक खुले खत में चौहान की तारीफ की और अपने भाषणों में ‘मामा’ और उनकी लाड़ली बहना योजना का जिक्र करना शुरू किया। भाजपा प्रत्याशियों की पहली दो सूचियों में नदारद चौहान और उनके करीबियों के नाम अगली दो सूचियों में नजर आए।

राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर का मानना है कि चौहान के विरुद्ध सत्ताविरोधी लहर की बात बढ़ाचढ़ाकर की जा रही है। वह कहते हैं, ‘यदि सही मायनों में कोई सत्ता विरोधी लहर होती तो चौहान रोज आठ से 10 जनसभाएं नहीं कर रहे होते और उनमें इतनी जनता भी नहीं आ रही होती।’

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी मानते हैं कि यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि प्रदेश के चौहान विरोधी नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से आग्रह किया था कि चौहान को मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाया जाए।

एक भाजपा नेता के मुताबिक शीर्ष नेतृत्व ने इस शर्त पर उनकी मांग स्वीकार की कि वे विधानसभा का चुनाव लड़ें और पार्टी को जीत दिलाने का हरसंभव प्रयास करें। यही कारण है कि भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद पटेल के साथ चार अन्य सांसदों राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और उदय प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा। पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी इंदौर से विधानसभा चुनाव मैदान में उतार दिया।

बहरहाल, कांग्रेस प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को रिझाने में जुटी है और भाजपा ने एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश में अपने शीर्ष नेता के रूप में सामने लाना शुरू कर दिया है।

परंतु ऐसे कदमों से पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में एक किस्म का भ्रम उत्पन्न हो गया है जिसका असर आगामी चुनाव नतीजों में देखने को मिल सकता है।

First Published - November 14, 2023 | 11:23 PM IST

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