भारतीय क्रिप्टो कंपनियां उत्साहित हैं, क्योंकि अमेरिकी प्रतिभूति नियामक ने बिटकॉइन पर नजर रखने के लिए पहले अमेरिकी-सूचीबद्ध एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को मंजूरी दे दी है।
कंपनियों का कहना है कि अपने देश में इस तरह के विकास संबंधित घटनाक्रम को लेकर चर्चाएं अभी शुरुआती चरण में हैं। अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) ने अमेरिका में बिटकॉइन के लिए गुरुवार को 11 ईटीएफ को हरी झंडी दी। बिटकॉइन बेहद लोकप्रिय वर्चुअल मुद्राओं में से एक है।
इससे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के इच्छुक लोगों को क्रिप्टो वॉलेट और क्रिप्टो एक्सचेंजों के साथ खाते जोड़ने जैसी चुनौतियों के बिना बिटकॉइन की कीमत के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी। एसईसी ने बिटकॉइन को ट्रैक करने वाले पहले यूएस-सूचीबद्ध एक्सचेंज को मंजूरी दे दी है। बहुत से लोग इस बात से सहमत हैं कि इससे क्रिप्टो बाज़ार भी अधिक नियमन के दायरे में आएगा।
कंपनियों का कहना है कि भारतीय निवेशक इससे सीधे पहुंच बनाने में सक्षम नहीं हो पाएंगे। उनका कहना है कि देश की क्रिप्टो कंपनियों में जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों (एफएमसीबीजी) द्वारा क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर मसौदा अपनाए जाने के बाद अमेरिका जैसे बदलाव की उम्मीद जगी है।
पिछले साल अक्टूबर में इनके क्रियान्वयन की मांग उठी थी। क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म कॉइनडीसीएक्स के सह-संस्थापक सुमित गुप्ता ने कहा, ‘यह क्रिप्टो उद्योग के लिए बड़ी सफलता है और हम एसईसी के निर्णय की सराहना करते हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान ब्लैकरॉक, वल्कायरी और ग्रेस्केल जैसी वित्तीय इकाइयों ने एसईसी के साथ संबंध बनाए हैं, जिससे क्रिप्टो परिसंपत्ति को अपनाने की राह आसान हुई है।’
इस उद्योग की कंपनियों का मानना है कि नियामक के साथ ऐसी ही चर्चा भारत में भी शुरू होगी। गुप्ता ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका में नियामकीय चर्चाएं चल रही थीं। एसईसी ने यह मानाहै कि बिटकॉइन एक कमोडिटी है।’
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और फाइनैंशियल स्टैबिलिटी बोर्ड (एफएसबी) के निर्देशन में मसौदा तैयार किया गया था। इस बीच, अन्य कंपनियों ने सुझाव दिया है कि क्रिप्टो लेनदेन पर मौजूदा कर लागू नहीं होने चाहिए, क्योंकि क्रिप्टो को ईटीएफ में प्रत्यक्ष रूप से नहीं खरीदा जाएगा।
वेस्टेड फाइनैंस के मुख्य कार्याधिकारी विराम शाह ने कहा, ‘बिटकॉइन ईटीएफ से जुड़ने वाले भारतीय निवेशकों को क्रिप्टोरेंसी रखने की चिंता किए बगैर विनियमित इकाइयों के जरिये आसान निवेश का विकल्प मिलेगा। इसके अलावा, लेनदेन पर 1 प्रतिशत टीडीएस लागू नहीं होगा, क्योंकि वास्तविक तौर पर क्रिप्टो नहीं खरीदी जाएगी और पूंजीगत लाभ कर भी कम होगा।’