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इंडेक्स डेरिवेटिव पर बढ़ी नजर! F&O में शेयरों को शामिल करने की नई नीति का इंतजार कर रहे कारोबारी

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसआई) में भी दो सूचकांकों सेंसेक्स व बैंकेक्स में इंडेक्स डेरिवेटिव अनुबंधों में कारोबार होता है।

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समी मोडक   
खुशबू तिवारी   
Last Updated- April 26, 2024 | 8:33 AM IST

स्टॉक एक्सचेंज अपने यहां इंडेक्स डेरिवेटिव बढ़ा रहे हैं जबकि इस क्षेत्र में ट्रेड के लिए इजाजत वाले शेयरों की संख्या घट रही है। इन डेरिवेटिव का रोज का औसत कारोबार 450 लाख करोड़ रुपये है।

इस हफ्ते नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ने निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स पर आधारित वायदा एवं विकल्प अनुबंध जारी करना शुरू किया और इस तरह उसने इंडेक्स डेरिवेटिव की संख्या पांच तक पहुंचा दी।

वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा वायदा एवं विकल्प (F&O) वॉल्यूम सृजित करने वाले एक्सचेंजों में से एक निफ्टी में पहले ही निफ्टी-50, निफ्टी बैंक, निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज और निफ्टी सलेक्ट मिडकैप इंडाइसेज पर आधरित डेरिवेटिव में ट्रेडिंग होती है।

इस बीच बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसआई) में भी दो सूचकांकों सेंसेक्स व बैंकेक्स में इंडेक्स डेरिवेटिव अनुबंधों में कारोबार होता है।

सूत्रों ने कहा कि डेरिवेटिव के क्षेत्र में दोनों एक्सचेंज और योजनाएं शामिल करने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि उनके बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है जबकि पहले से ही उच्च आधार पर पहुंचे हुए हालात में वृद्धि हासिल करना चुनौतीपूर्ण बन गया है।

हालांकि उनके प्रस्तावों पर कुछ नहीं हुआ है और जनवरी 2022 के बाद से एक भी नया शेयर डेरिवेटिव में नहीं जुड़ा है। कुछ मौजूदा शेयरों को बाहर भी निकाला गया है। कभी एनएसई में करीब 200 शेयरों में एफऐंडओ अनुबंधों में कारोबार होता था। लेकिन अब यह सूची घटकर 182 शेयर रह गई है। नियमों के मुताबिक एफऐंडओ सेगमेंट में ट्रेड की अनुमति जिन कंपनियों को मिलती है, वे तभी इसकी पात्र होती हैं जब वे इंडेक्स का हिस्सा होती हैं।

परिणामस्वरूप एक्सचेंज कुछ बड़ी या नई-नई सूचीबद्ध कंपनियों मसलन डीमार्ट, जोमैटो, जियो फाइनैंशियल्स और एलआईसी को किसी भी सूचकांकों में शामिल करने में सक्षम नहीं हो रहे हैं जो डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेड करता है।

एक ब्रोकर ने कहा कि किसी ऐसे इंडेक्स के लिए डेरिवेटिव में ट्रेड असंभव है जिसके पास गैर-एफऐंडओ शेयर हों। एक्सचेंज अपेक्षाकृत कम उतारचढ़ाव वाले इंडेक्स डेरिवेटिव के मार्ग पर चलकर डेरिवेटिव में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहते हैं। यह तब तक नहीं होगा जब तक कि नियामक डेरिवेटिव में नए शेयरों के प्रवेश की इजाजत नहीं देता।

बाजार नियामक सेबी अगले कुछ हफ्तों में चर्चा पत्र जारी कर सकता है जिसमें डेरिवेटिव सेगमेंट में शेयरों को शामिल करने को लेकर नए मानदंड होंगे। इस फ्रेमवर्क की उम्मीद एक साल पहले की गई थी लेकिन नियामक इस चिंता के बीच सतर्क रहा है कि डेरिवेटिव सेगमेंट अत्यधिक सटोरिया गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रहा है और भोले-भाले निवेशकों को ललचा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि सेबी और आरबीआई के अधिकारियों वाली एक समिति बढ़ती खुदरा भागीदारी को लेकर चिंता, निगरानी की व्यवस्था, डेरिवेटिव के लिए पात्र शेयरों के चयन आदि को लेकर समाधान निकालने पर विचार कर रही है। पात्र शेयरों के लिए आकलन के नए तरीके, अन्य कारक मसलन क्लाइंटों व ट्रेडरों के लिए जोखिम प्रबंधन का समाधान भी चर्चा पत्र में हो सकता है।

First Published : April 25, 2024 | 10:14 PM IST