भारत अमेरिका के ताजा और प्रसंस्कृत कुछ खाद्य उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने के लिए सहमत हो गया है। इस क्रम में भारत अमेरिकी ब्लूबेरी, क्रैनबेरी, टर्की, बत्तख पर शुल्क में 5 से 10 प्रतिशत कटौती करने के लिए तैयार हो गया है। यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) में जारी बड़े विवाद के एक हिस्से का समाधान है।
शुल्क में कटौती फ्रोजन टर्की, फ्रोजन बत्तख, ताजी ब्लूबेरी व क्रैनबेरी, फ्रोजन ब्लूबेरी व क्रैनबेरी, सूखी ब्लूबेरी व क्रेनबेरी और प्रसंस्कृत ब्लू बेरी व क्रैनबेरी पर भी लागू होगी। अभी इन उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगता है और यह करीब 30 से 45 प्रतिशत है।
इस कदम को दोनों देशों के बीच रणनीतिक व आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है। नई दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपित जो बाइडन के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक के फौरन बाद संयुक्त राज्य अमेरिका के कारोबार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) ने कटौती के बारे में घोषणा की थी।
हालांकि भारत और अमेरिका में द्विपक्षीय बातचीत के तहत आयात शुल्क में कटौती की गई है जबकि डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत न केवल अमेरिका बल्कि हरेक देश व हर उत्पाद पर शुल्क कटौती होगी।
सरकारी अधिकारी के अनुसार, ‘शुल्क में कटौती सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के आधार पर की गई है।’ डब्ल्यूटीओ के एमएफएन सिद्धांत के अनुसार डब्ल्यूटीओ के सभी देशों पर सीमा शुल्क लागू है।
इस मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक उत्पाद दर उत्पाद के आयात शुल्क में कटौती की घोषणा भी की जानी है। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग शुल्क में कटौती करने की अधिसूचना छह महीन से कम समय में जारी करेगा। इस मामले के जानकार सूत्र ने बताया, ‘इसके लिए 180 दिन का समय है..सीमा शुल्क विभाग उचित समय के बारे में फैसला करेगा।’
तर्क और प्रभाव
सूत्र ने बताया, ‘इस कदम से घरेलू मार्केट को नुकसान पहुंचने की उम्मीद नहीं है। यह उत्पाद खास वर्ग के लिए हैं। इसका विशिष्ट बाजार है। यह खास क्षेत्र की मांग को पूरा करेगा जो विदेशी उत्पाद खरीदना चाहते हैं। लिहाजा यह ग्राहक की पसंद पर निर्भर करेगा।’
उदाहरण के तौर पर भारत ब्लूबेरी का प्रमुख उत्पादक देश नहीं है और घरेलू मांग को पूरी करने के लिए आयात पर निर्भर है। दूसरी तरफ अमेरिका विश्व में ब्लूबेरी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और भारत के बाजार में अपनी पहुंच बनाना चाहता है।
इस बारे में इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशंस की प्रोफेसर अर्पिता मुखर्जी ने कहा इन उत्पादों पर आयात शुल्क कम करना होटल, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं के साथ साथ उपभोक्ताओं के लिए भी अच्छा है। भारत को धीरे धीरे कृषि/खाद्य उत्पादों पर उच्च शुल्क को घटाकर कृषि के कारोबार की सुविधा देनी होगी। भारत को यह सुविधा खासतौर से तब और देनी होगी जब भारत अधिक मुक्त व्यापार समझौते करने की कोशिश कर रहा है।