भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) बीज के विकास, शोध में समन्वय और विपणन की विस्तार सेवाओं से लेकर कृषि की पूरी मूल्य श्रृंखला को निजी क्षेत्र के लिए खोलने की योजना बना रहा है।
कृषि, बागवानी, मत्स्य और पशु पालन के क्षेत्र में दिग्गज सरकारी संस्थान अपनी सेवाओं, प्रयोगशालाओं और खेतों को निजी क्षेत्र के लिए खोलने के लिए काम कर रहा है।
इस क्रम में आईसीएआर निजी उत्पादों के सहयोग से बने उत्पादों के पेटेंट पर रायल्टी साझा करना चाहेगा। ऐसा ही निजी क्षेत्र के लिए भी हो सकता है। खेती या किसी भी गतिविधि जैसे मवेशी, मत्स्य पालन और पशुपालन में समस्या की पहचान के बाद सहयोग शुरू किया जाएगा।
दो महीने में व्यापक दिशानिर्देश पेश किए जाने की योजना
आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कृषि के पूरी मूल्य श्रृंखला में निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए दो महीने में व्यापक दिशानिर्देश पेश किए जाने की योजना बनाई जा रही है। यह उन्होंने संस्थान के 95वें स्थापना व तकनीक दिवस के उपलक्ष्य में चुनिंदा संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा।
आईसीएआर की वेबसाइट के अनुसार इसमें 113 संस्थान व 71 कृषि विश्वविद्यालय हैं और ये देश भर में फैले हुए हैं। यह विश्व के सबसे बड़े राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है।
आईसीएआर ने हरित क्रांति का रास्ता प्रशस्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस संस्थान ने 1950-51 के बाद से शोध व तकनीकी विकास के जरिये कृषि के विकास में अहम भूमिका निभाई। इसने खाद्यान के उत्पादन, बागवानी की फसलों, मछली व अंडों का उत्पादन बढ़ाने में प्रमुख रूप से योगदान दिया।
अभी तक संस्थान और उसके संबंध संस्थानों ने विस्तार और व्यवसायीकरण के लिए निजी कंपनियों को उत्पादों और नवाचारों का लाइसेंस दिया है और कई क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के साथ अनुबंध अनुसंधान किया है।
पाठक ने कहा, ‘इस बार हम निजी क्षेत्र से कहीं ज्यादा साझेदारी के लिए देख रहे हैं। इसमें हम अपने शोध सुविधाओं को निजी क्षेत्र के वैज्ञानिकों और कंपनियों के लिए खोलेंगे। साझा उत्पाद तैयार करेंगे और इन उत्पादों पर रॉयल्टी साझा करेंगे।’