केमिकल लीथियम-आयन बैटरी के घटकों के लिए विनिर्माण इकाई स्थापित करने के वास्ते हिमाद्रि स्पेशलिटी (Himadri Speciality Chemical) पांच से छह साल में 4,800 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
कंपनी ने अगले पांच से छह साल के दौरान चरणबद्ध रूप में 2,00,000 टन लीथियम आयरन फॉस्फेट (एलएफपी) कैथोड एक्टिव सामग्री का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। इससे 100 गीगावॉट प्रति घंटे वाली लीथियम-आयन (ली-आयन) बैटरी के लिए आपूर्ति होगी।
पहले चरण के दौरान ओडिशा में इस इकाई की क्षमता 40,000 टन रहेगी और परिचालन शुरू करने के लिए 27 से 36 महीने की अपेक्षित समयसीमा के साथ अनुमानित लागत 1,125 करोड़ रुपये होगी। इस पूंजीगत व्यय के लिए मुख्य रूप से आंतरिक स्रोतों से रकम जुटाई जाएगी और शेष राशि का इंतजाम ऋण के जरिये किया जाएगा।
हिमाद्रि ने कहा कि 40,000 टन के पूर्ण उपयोग पर उसे ‘काफी मजबूत लाभ और प्रतिफल प्रोफाइल’ के साथ पूंजीगत व्यय का चार गुना राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है।
इस परियोजना से हिमाद्रि को उम्मीद है कि वैश्विक और देश के इलेक्ट्रिक वाहनों तथा ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए लीथियम-आयन बैटरी के कच्चे माल का स्वदेशीकरण संभव होगा और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी। कंपनी ने शेयर बाजार की दी सूचना में यह उम्मीद जताई है।
हिमाद्रि ने कहा कि कैथोड सामग्री लीथियम-आयन सेल के उत्पादन में आवश्यक महत्वपूर्ण घटक होता है। सेल की लागत में 50-55 प्रतिशत हिस्सा इसका रहता है। एलएफपी लीथियम-आयन बैटरी सेल निर्माण में उपयोग की जाने वाली प्रमुख सामग्रियों में से एक होता है।
हिमाद्रि स्पेशलिटी केमिकल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्याधिकारी अनुराग चौधरी ने कहा कि इस प्रौद्योगिकी को आंतरिक स्तर पर विकसित किया गया है। हम इस पर पिछले 15 साल से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लीब (लीथियम-आयन बैटरी) की वैश्विक मांग सालाना लगभग 27 प्रतिशत तक बढ़कर वर्ष 2030 तक लगभग 4,700 गीगावॉट प्रति घंटा पहुंचने की उम्मीद है और लीथियम-आयन बैटरी की मूल्य श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण घटक कैथोड सामग्री साल 2030 तक बढ़कर 94 लाख टन होने की उम्मीद है ताकि लीथियम-आयन बैटरी के सेल के वैश्विक उत्पादन की जरूरत को पूरा किया जा सके।
ओडिशा का यह संयंत्र वैश्विक और घरेलू मांग को पूरा करेगा।
केंद्र सरकार ने उन्नत रसायन सेल बैटरी भंडारण के लिए पीएलआई योजना की घोषणा की थी। चौधरी ने बताया कि सरकार चाहती है कि कंपनियां आगे आएं और देश में सेल विनिर्माण का आधार स्थापित करें।
उन्होंने कहा ‘लेकिन ऐसा तब तक नहीं होगा, जब तक घटक भारत में नहीं बनाए जाएंगे। इसलिए हिमाद्री घटक विनिर्माण इकाई स्थापित कर रही है, जो भारत को वास्तव में आत्म
निर्भर बनाएगी।’