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PC विनिर्माताओं को राहत के आसार! नई पंजीकरण व्यवस्था पर विचार कर रही सरकार

फिलहाल भारतीय पीसी बाजार के एक-तिहाई से भी कम उपकरण देश में असेंबल किए जाते हैं। देश के लगभग 80 प्रतिशत लैपटॉप आयात किए जाते हैं और उनमें से ज्यादातर चीन के रहत हैं।

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आर्यमन गुप्ता   
Last Updated- September 13, 2023 | 10:31 PM IST

एचपी, डेल, लेनोवो और ऐपल जैसे मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) ने मंगलवार को उस वक्त राहत की सांस ली, जब सरकार ने कहा कि वह कोटा और लाइसेंसिंग आवश्यकताओं के बिना पर्सनल कंप्यूटर के आयात के लिए नई पंजीकरण व्यवस्था पर विचार कर रही है।

विश्लेषकों का कहना है कि इस नई पंजीकरण व्यवस्था का यह मतलब भी होगा कि त्योहारी सीजन की बिक्री पर असर नहीं होगा। आयात प्रतिबंध कम होने की वजह से यह सुनिश्चित होगा कि आपूर्ति में कोई कमी नहीं होगी। फिर भी अनिश्चितता के कारण कंपनियां दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं।

अधिकारियों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सरकार आयात प्रबंधन प्रणाली के तहत उपकरणों के स्रोत और मूल्य की ही निगरानी करेगी। कोटा और अन्य अनुपालन आवश्यकताएं अगले वित्त वर्ष से लागू होंगी। एक पीसी विनिर्माता के अधिकारी ने कहा कि फिलहाल आयात सुचारू रूप से चल रहा है और अगर नई पंजीकरण व्यवस्था शुरू होती है, तो यह इसी तरह जारी रहेगा। इस कदम ने हमें कुछ राहत प्रदान की है।

उन्होंने कहा कि अलबत्ता अब भी काफी अनिश्चितता है। इस बारे में अब भी बातचीत चल है और इस संबंध में सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि इसे कब लागू किया जाएगा।

इस घटनाक्रम ने पीसी विनिर्माताओं को बहु-अपेक्षित राहत प्रदान की है, जो लंबे समय से विवादास्पद आयात प्रतिबंधों का विरोध कर रहे हैं।
3 अगस्त को एक आधिकारिक अधिसूचना में सरकार ने घोषणा की थी कि लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर का आयात तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसका मकसद चीनी आयात पर अंकुश लगाना और स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना था।

कड़े विरोध के बाद इस साल यह समय सीमा बढ़ाकर 1 नवंबर कर दी गई। बाजार अनुसंधान फर्म काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसंधान निदेशक तरुण पाठक ने कहा कि यह विस्तार अपेक्षित था। इससे कंपनियों को भारत में अपने परिचालन का स्थानीयकरण करने के लिए कुछ समय मिलेगा, चाहे वह पुर्जे हासिल करने का मामला हो या असेंबली का।

बाजार अनुसंधान फर्म टेकार्क के संस्थापक और मुख्य विश्लेषक एफ कावूसा इसे उपभोक्ताओं के लिए भी जीत के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की छूट दी जानी उपभोक्ता के हित में। अन्यथा कंपनियां जमाखोरी का सहारा लेतीं और उपकरणों को बहुत ज्यादा दामों पर बेचतीं। लोगों को भी पुराने उपकरण मिलते, जो उन्हें महंगे दामों पर बेचे जाते।

फिलहाल भारतीय पीसी बाजार के एक-तिहाई से भी कम उपकरण देश में असेंबल किए जाते हैं। देश के लगभग 80 प्रतिशत लैपटॉप आयात किए जाते हैं और उनमें से ज्यादातर चीन के रहत हैं।

एक ओईएम के अधिकारी ने कहा कि सरकार ने अपने लिए खुद एक गड्ढा खोद लिया है और अब वे इससे बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें इस बात का एहसास हुआ है कि नवंबर में समयसीमा तय करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है। कंपनियों के लिए इतने कम समय में अपनी विनिर्माण इकाइयों को भारत में स्थानांतरित करना व्यावहारिक नहीं है।

First Published : September 13, 2023 | 10:31 PM IST