नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि घरेलू उड्डयन बाजार में मुनाफा कम है, क्योंकि यहां प्रतिस्पर्धा अधिक है, ऐसे में एयरलाइंस को ज्यादा अंतरराष्ट्रीय सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, जहां मुनाफा ज्यादा है।
इस समय भारत की विमान कंपनियों की भारत से कुल अंतरराष्ट्रीय उड़ान में हिस्सेदारी महज 40 प्रतिशत है। गो फर्स्ट, जो इस महीने की शुरुआत में दिवाला आवेदन किया है, हर सप्ताह 128 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालितकर रही थी, यह अप्रैल में उसके कुल उड़ान नेटवर्क का महज 10 प्रतिशत था।
उड्डयन विश्लेषक फर्म सिरियम के आंकड़ों के मुताबिक स्पाइसजेट की कुल उड़ानों में सिर्फ 15 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय उड़ानें हैं। स्पाइसजेट 2018-19 से घाटे में चल रही है। सीआईआई के कार्यक्रम में विस्तारा के चेयरमैन भास्कर भट ने सिंधिया से कहा कि भारत के उड्डयन क्षेत्र में ढांचागत समस्या है। भट ने कहा कि सरकार द्वारा लिया जाने वाला सालाना कर एयरलाइंस को हो रहे घाटे से ज्यादा है, जो एक ढांचागत समस्या है।
भट टाटा संस के भी निदेशक हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अगले दो दशक में 2,200 विमान मिल सकते हैं, वहीं देश में एयरलाइंस के लिए पर्याप्त सपोर्ट सिस्टम नहीं है, इसकी वजह से समस्याएं आ रही हैं। भट ने पायलटों की कमी का हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास 2,200 विमान हैं तो हमें 12,000 से 15,000 पायलटों की जरूरत है, जबकि इसकी तुलना नें हमारे पास आधी संख्या है। सिंधिया ने कहा कि इस साल के अंत तक देश में 50 फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन (एफटीओ) होंगे। इस समय देश में करीब 35 एफटीओ हैं।