भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर बेचकर मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किए जाने के बावजूद रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। डीलरों ने कहा कि व्यापार घाटे के आंकड़े जारी होने के बाद निवेशकों ने स्थानीय मुद्रा की बिकवाली की, जो बाजार की उम्मीदों से ज्यादा था।
डॉलर के मुकाबले रुपया 83.18 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो गुरुवार को 83.04 पर बंद हुआ था। कारोबार के आखिर में यह उल्लेखनीय रूप से गिरा, जबकि शेष कारोबारी सत्र में मामूली अंतर रहा।
सीआर फॉरेक्स में प्रबंध निदेशक अमित पाबरी ने कहा, ‘व्यापार घाटे की सूचना आने के बाद अमेरिकी डॉलर के मुताबले रुपये की चाल 83.05 से 83.18 तक रही। नॉन डिलेवरेबल फॉरवर्ड्स (एनडीएफ) में डॉलर की भारी मात्रा में शॉर्ट पोजीशन करीब 83.10 रुपये प्रति डॉलर के आसपास रही। इसकी वजह से रुपये में गिरावट आई।
प्रतिरोध का मुख्य क्षेत्र 83.25 से 83.30 के बीच रह सकता है।’बहरहा बैंकिंग व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी 23 सितंबर को आई-सीआरआर जारी होने के पहले गुरुवार को 2,696 करोड़ रुपये गिरी।
बाजार हिस्सेदारों का मानना है कि नकदी की स्थिति एक बार फिर घाटे में जा सकती है, अगर केंद्रीय बैंक वैरिएबल रीपो रेट (वीआरआर) की नीलामी नहीं कराता।
एक प्राथमिक डीलरशिप में डीलर ने कहा, ‘अगर रिजर्व बैंक वीआरआर के साथ नहीं ता तो एक बार फिर हम नकदी के घाटे की स्थिति देख सकते हैं। दूरसी किस्त जारी होनी है, लेकिन 25,000 करोड़ रुपये पर्याप्त नहीं होगा।’ अगस्त में व्यापार घाटा 24.16 अरब डॉलर रहा, जबकि बाजार को 21 अरब डॉलर की उम्मीद थी।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी में कोषागार प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि एफपीआई और तेल कंपनियां रुपये को लाभ उठाने नहीं दे रही हैं, भले ही रिजर्व बैंक ने 83.07 पर बिक्री की। सुबह से रुपया 82.99 से 83.20 के बीच था, और तेल महंगा था व एफपीआई हिस्सेदारी बेचकर डॉलर खरीद रहे थे।