सरकार गुरुवार को संसद में डिजिटल निजी डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 (Digital Personal Data Protection Bill) पेश करने की तैयारी कर रही हैं। इस बीच एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश लोगों का मानना है कि उनके निजी डेटा विभिन्न सरकारी एजेंसियों से लीक हुए हैं।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य तौर पर सबसे ज्यादा लीक हुए निजी डेटा में आधार और पैन कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर तथा ईमेल आईडी शामिल है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट 23,000 नागरिकों से मिली प्रतिक्रिया पर आधारित
एक सामुदायिक मंच लोकलसर्कल्स द्वारा जारी यह सर्वेक्षण रिपोर्ट भारत के 309 जिलों के 23,000 नागरिकों से मिली प्रतिक्रिया पर आधारित है। इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाले करीब 45 फीसदी लोग टीयर 1 शहरों से ताल्लुक रखते हैं जबकि 34 फीसदी लोग टीयर 2 और 21 फीसदी लोगों का संबंध टीयर 3-4 शहरों और ग्रामीण जिले से है।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 72 फीसदी नागरिकों का कहना है कि उनका निजी डेटा लीक हो गया है। करीब 56 फीसदी लोगों का मानना है कि इस लीक के लिए केंद्र सरकार के दफ्तर के डेटाबेस या कर्मचारी (ईपीएफ, पासपोर्ट, कोविन, आरोग्य सेतु, आधार और गाड़ी से जुड़ी जानकारी आदि) जिम्मेदार हैं।
किसी तरह की लीक में अपने डेटा गंवाने वाले 81 फीसदी लोगों का मानना है कि राज्य या स्थानीय सरकारी कार्यालय इसके लिए जिम्मेदार हैं। इस सर्वेक्षण में प्रतिक्रिया देने वाले 10 नागरिकों में से 7 का मानना है कि एक या एक से अधिक निजी डेटा के साथ छेड़छाड़ की गई।
वहीं करीब 50 फीसदी नागरिकों का कहना है कि उनके आधार या पैन कार्ड, दोनों की जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है। वहीं करीब 75 फीसदी लोग इसके लिए दूरसंचार कंपनियों जबकि 69 फीसदी थिंक टैंक और वित्तीय सेवा प्रदाताओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।