कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय दिल्ली उच्च न्यायालय को आईबीसी नियमों (IBC Rules) में हालिया संशोधन के संबंध में स्पष्टीकरण दे सकता है। इनमें विमान, इंजन आदि के लिए ऋण स्थगन के संबंध में छूट प्रदान की गई है। यह भविष्य में उत्पन्न होने वाले नई दिवालिया मामलों पर लागू होता है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। उच्च न्यायालय ने गोफर्स्ट की पट्टादाता की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है।
विमान पट्टादाताओं को बड़ी राहत देते हुए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 14 के तहत विमान, विमान इंजन, एयरफ्रेम और हेलीकॉप्टर से संबंधित सभी लेनदेन और समझौतों को ऋण स्थगन से छूट दे दी है। यह कदम उन विमानन कंपनियों के लिए निवारक हो सकता है, जो दिवालिया हो जाती हैं लेकिन इससे पट्टादाताओं के कारोबार को मौका मिलता है।
मंत्रालय की यह अधिसूचना केप टाउन कन्वेंशन विधेयक के अनुरूप है, जिसे नागरिक विमानन मंत्रालय ने पहली बार वर्ष 2018 में पेश किया था। यह विधेयक पट्टादाताओं को इस बात का आश्वासन देता है कि अगर कोई कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो विमान जैसी उनकी परिसंपत्ति फंसेगी नहीं, जैसा कि गो के मामले में हुआ है। फिलहाल वह दिवालिया कार्यवाही से गुजर रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस कानून का उद्देश्य भविष्य में होने वाले दिवालिया मामलों में पट्टे पर दिए गए इंजनों और विमानों को छूट प्रदान करना है, न कि उन मामलों में जहां दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
गो फर्स्ट के मामले में पट्टादाताओं ने दिवालिया स्वीकृति से पहले 45 विमानों का पंजीकरण रद्द करने के लिए नागरिक विमानन महानिदेशालय में आवेदन किया था। दिवालिया स्वीकृति और ऋण स्थगन की शुरुआत के बाद इन आवेदनों को रोक दिया गया था।