दिल्ली उच्च न्यायालय ने सन ग्रुप के कल एयरवेज और इसके संस्थापक एवं विमानन कंपनी के पूर्व प्रवर्तक कलानिधि मारन के साथ कानून लड़ाई में फंसी विमानन कंपनी स्पाइसजेट (Spicejet) की उस याचिका को आज खारिज कर दिया जिसमें मध्यस्थता फैसले को चुनौती दी गई थी।
मध्यस्थता अदालत ने साल 2018 में अपने एक फैसले के तहत मारन को ब्याज सहित 579 करोड़ रुपये लौटाने के लिए स्पाइसजेट और उसके प्रवर्तक अजय सिंह को निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय का यह फैसला विमानन कंपनी के लिए झटका माना जा रहा है।
मध्यस्थता अदालत ने निर्देश दिया था कि पूर्व प्रवर्तक कल एयरवेज और मारन को वारंट के एवज 308 करोड़ रुपये और भुनाने योग्य तरजीही शेयर (सीआरपीएस) के एवज में 270 करोड़ रुपये लौटाए जाएंगे।
अदालत में कल एयरवेज और मारन का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी फर्म करंजावाला ऐंड कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘मध्यस्था फैसले द्वारा निर्धारित तिथि के दो महीने के भीतर यदि स्पाइसजेट और सिंह निर्धारित रकम का भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें 18 फीसदी ब्याज का भुगतान भी करना पड़ेगा। इसके अलावा कल एयरवेज और मारन को फौरी राहत के तौर पर 12 फीसदी ब्याज भी देय होगा।’
खबरों के मुताबिक, विमानन कंपनी ने उस फैसले को रद्द करने की मांग की थी जिसमें उन्हें मारन को 270 करोड़ रुपये लौटाने को कहा गया था। साथ ही कंपनी ने ब्याज पर भी छूट की मांग की थी। कथित तौर पर मध्यस्थता फैसले के निष्पादन की कार्यवाही दिल्ली उच्च न्यायालय के एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है।
दोनों पक्षों के बीच साल 2015 से विवाद चल रहा है। उस वक्त मारन ने स्पाइसजेट में अपनी 58.46 फीसदी हिस्सेदारी को 2 रुपये की मामूली खरीद मूल्य पर बेच दिया था। इसके अगले साल यानी 2016 में मारन ने उन्हें शेयर जारी नहीं करने में विमानन कंपनी द्वारा समझौते के उल्लंघन का हवाला देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
न्यायालय ने साल 2017 में विमानन कंपनी को 579 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था और दोनों पक्षों को मध्यस्था के जरिये मामला सुलझाने को कहा था। साल 2018 में मध्यस्थता अदालत ने मारन को ब्याज सहित 579 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया था।
मध्यस्थता फैसले के खिलाफ दोनों पक्षों ने अपील दायर की थी। मारन ने भी प्रवर्तन के लिए एक आवेदन दिया था। साल 2020 के सितंबर महीने में दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पाइसजेट को मारन को 242 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान करने का आदेश दिया था।