दूरसंचार विभाग (DOT) ने दूरसंचार ऑपरेटरों से इसका आकलन करने के लिए कहा है कि उनके नेटवर्क के कितने उपकरण ऐसे हैं जिन्हें ‘विश्वसनीय स्रोतों’ से नहीं लिया गया है। यह स्व-आकलन राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे पुराने उपकरणों को बदलकर ‘विश्वसनीय स्रोतों’ से खरीदे गए नए उपकरण लगाने से जुड़ी संभावित लागत का पता लगाने में मदद करेगा।
दिसंबर 2020 में सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश की घोषणा की थी। इसके तहत सेवा प्रदाताओं को केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही उपकरण खरीदना अनिवार्य किया गया है। यह निर्देश जून 2021 में लागू हुआ था।
निर्देश चीन की उपकरण विनिर्माता कंपनियों द्वारा विभिन्न देशों में जासूसी करने के लिए उपकरणों के इस्तेमाल करने की वैश्विक चिंता के अनुरूप था। इस निर्देश के लागू होने से पहले भारत के कई दूरसंचार ऑपरेटर चीन की कंपनियों, खास तौर पर हुआवे तथा जेडटीई से उपकरण खरीदते थे और उनके नेटवर्क में अभी भी ऐसे उपकरण काम कर रहे हैं।
स्व-आकलन, उपकरणों को बदलने में दूरसंचार ऑपरेटरों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ का अनुमान लगाने और यदि इस पर सहमति बनती है तो कितनी सरकारी मदद की जरूरत होगी, उसके आकलन करने सहित कई मकसद को पूरा करेगा।
दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल ऑपरेटरों से उनके नेटवर्क में गैर-विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे गए उपकरण के आंकड़े जुटाने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसकी जानकारी मिलने के बाद दूरसंचार विभाग की योजना कोई निर्णय लेने से पहले इससे जुड़ी लागत का आकलन करने की है।
दूरसंचार विभाग का प्रस्ताव अमेरिका में लागू ‘रिप ऐंड रिप्लेस’ कार्यक्रम के समान है, जिसमें वहां की सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम के तौर पर समझे जाने वाले उपकरणों को बदलने के लिए दूरसंचार कंपनियों को प्रतिपूर्ति के वास्ते धन आवंटित किया था। अमेरिका में इस योजना को फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन द्वारा 2020 में शुरू किया गया था और इसके लिए शुरुआत में 1.9 अरब डॉलर की राशि तय की गई थी।
हालांकि 2024 में अतिरिक्त 3.08 अरब डॉलर की फंडिंग का प्रस्ताव किया गया और उपकरणों को बदलने की समयसीमा भी बढ़ा दी गई। खबरों के मुताबिक अमेरिका की पांच दूरसंचार कंपनियों ने जनवरी 2024 तक सरकार की सहायता से अपने नेटवर्क में चीन में बने उपकरणों को बदल दिया था।
ब्रिटेन में भी चीन में बने उपकरणों को 2027 तक बदलने के लिए दूरसंचार फर्मों की खातिर इसी तरह की योजना लाए जाने की उम्मीद है। हालांकि कुछ कंपनियों का कहना है कि वे इस समयसीमा तक सभी उपकरण को बदलने में सक्षम नहीं होंगे।
भारत में ज्यादातर 5जी नेटवर्क गैर-चीनी कंपनियों खास तौर पर एरिक्सन और नोकिया द्वारा बनाए गए हैं। इसके साथ ही रिलायंस जियो ने स्वदेशी उपकरण भी विकसित किए हैं। देश में 5.50 लाख 5जी टावर हैं, जबकि यूरोप और अमेरिका दोनों को मिला दें तो इन देशों में करीब तीन लाख टावर हैं।
चीन की कंपनियों द्वारा आकर्षक कीमत पर उच्च गुणवत्ता के उपकरण मुहैया कराने के तर्क के बीच दूरसंचार ऑपरेटरों के विरोध के मद्देनजर सरकार ने हुआवे और जेडटीई के उपकरणों को विश्वसनीय स्रोत के रूप में मंजूरी नहीं दी।
विश्वसनीय स्रोत की अनिवार्यता से पहले वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल जैसी दूरसंचार फर्में हुआवे और जेडटीई से उपकरण खरीदते थे।