भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने किसी डिजिटल उधारी ऐप को प्रतिबंधित करने का सुझाव नहीं दिया है बल्कि सरकार को सिर्फ उन ऐप की सूची प्रदान की है जो उसके द्वारा शासित हैं और अपनी उधारी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा डिजिटल उधारी ऐप और वेबसाइटों को बंद किए जाने के बाद आरबीआई की ओर से यह स्पष्टीकरण आया है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा, ‘हमने किसी डिजिटल उधारी ऐप पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव नहीं दिया है। हमने उन ऐप की सूची मंत्रालय के साथ साझा की है जिनका इस्तेमाल आरबीआई द्वारा शासित कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। मेरा मानना है कि मंत्रालय ने प्ले स्टोर से ऐसे ऐप हटाने को कहा है जो आरबीआई की विनियमित इकाइयों द्वारा परिचालित नहीं हैं।’
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘हमने एनबीएफसी से ऐसे ऐप की सूची मांगी थी जिनका इस्तेमाल वे उधारी के मकसद से करते हैं। हमने वह सूची अब सरकार को सौंप दी है। अब सरकार को हमारे द्वारा दी गई सूची के आधार पर कदम उठाना है।’
फिनटेक और डिजिटल उधारी तंत्र इस घटनाक्रम को समझने में नाकाम रहे हैं और कई कंपनियां इसे लेकर आशंकित हैं कि सरकार ने ऐसा कदम क्यों उठाया है।
उद्योग संगठन– डिजिटल लेंडिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डीएलएआई) और फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर इम्पावरमेंट इस मामले को लेकर अपने हितधारकों के साथ चर्चा करने में लगे हुए हैं, लेकिन उन्हें इस घटनाक्रम की स्पष्ट जानकारी नहीं है।
मंगलवार को जारी एक बयान में डीएलएआई ने कहा, ‘अब तक हमें एमईआईटीवाई से डिजिटल उधारी ऐप प्रतिबंधित करने या किसी धोखाधड़ी वाली कार्य प्रणाली पर चेतावनी के बारे में औपचारिक जानकारी नहीं मिली है। हम अपने सदस्यों और अन्य उद्योग सहयोगियों से जानकारी जुटा रहे हैं। हम इस मामले से पूरी तरह अवगत होने के लिए मंत्रालय और अन्य संबद्ध प्राधिकरणों से संपर्क करेंगे।’