Tesla India EV plan: भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सोमवार को कहा कि टेस्ला से निकट भविष्य में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का मैन्यूफैक्चरिंग करने की उम्मीद नहीं है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, टेस्ला बाजार में लॉन्चिंग की तैयारी कर रही है, लेकिन घरेलू प्रोडक्शन उसकी तात्कालिक योजनाओं का हिस्सा नहीं है। मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक शोरूम की जगह को अंतिम रूप देने और स्टोर मैनेजर और सर्विस स्टाफ सहित भारत में दो दर्जन से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने के बावजूद, टेस्ला कथित तौर पर इस स्तर पर घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग पर विचार नहीं कर रही है।
#WATCH | Delhi: Union Minister of Heavy Industries and Steel, HD Kumaraswamy says “…Tesla only wants to start two showrooms. Tesla is not interested in manufacturing in India…”
A ministry official not in the camera frame says “As of today, this is the information with us.… pic.twitter.com/E1DBkWAPWE
— ANI (@ANI) June 2, 2025
Tesla ने भारत में अपने EV बेचने के लिए प्रमाणन और होमोलोगेशन (certification and homologation) की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अगले दो से तीन महीनों में बाजार में अपनी पहली कार लॉन्च करने की उम्मीद है। यह ऐसे समय में आया है जब देश ने एक सरल इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पॉलिसी के जरिए ग्लोबल ऑटो निर्माताओं को आकर्षित करने के हालिया प्रयास किए हैं।
भारत ने टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए मार्च 2024 में एक फ्लैगशिप EV पॉलिसी पेश की, जिसमें मैन्यूफैक्चरिंग प्रतिबद्धताओं के बदले आयात शुल्क में कमी की पेशकश की गई। पॉलिसी के अंतर्गत, कंपनियां 15 फीसदी के काफी कम शुल्क पर सालाना 8,000 EV तक आयात कर सकती हैं। बशर्ते कि वे तीन वर्षों के भीतर घरेलू प्रोडक्शन यूनिट लगाने के लिए कम से कम ₹4,150 करोड़ (लगभग $500 मिलियन) का निवेश करें। पॉलिसी के लिए आवेदन जल्द ही खुलने की उम्मीद है और 15 मार्च, 2026 तक एक्टिव रहेंगे।
इस पॉलिसी का मकसद दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार भारत को EV निवेश के लिए एक प्रमुख डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना है। ग्लोबल EV डिमांड कम हो रही है, जबकि भारत में रुचि बनी हुई है। हालांकि, भारत सरकार ने हाल ही में इस योजना के अंतर्गत पात्रता मानदंडों को कड़ा कर दिया है, जिसमें चौथे वर्ष में ₹5,000 करोड़ और पांचवें वर्ष में ₹7,500 करोड़ की मिनिमम रेवेन्यू आवश्यकता शुरू की गई है। इन टारगेट्स को पूरा करने में विफल रहने वाली कंपनियों को राजस्व की कमी पर 3 फीसदी तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
टेस्ला फिलहाल कई वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रही है। 2025 की पहली तिमाही में, कंपनी ने वैश्विक वाहन डिलीवरी में 13 फीसदी की गिरावट और नेट प्रॉफिट में 71 फीसदी की गिरावट दर्ज की, जो एक दशक से अधिक में पहली वार्षिक डिलीवरी गिरावट है।