राजस्व विभाग ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) क्षेत्र पर कर लगाने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश पर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि गेम होस्ट जीती गई पूरी रकम पर TDS जमा कराए। मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया अभी कूपन, टोकन या नकदी से इतर किसी भी भुगतान पर कर नहीं लगता मगर ऐसे इनाम को कर के दायरे में लाया जाएगा।
इसके लिए ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को विस्तृत खुलासा करना होगा जैसे पुरस्कार के प्रकार, भुगतान की तिथि अथवा विजेताओं के खाते में जमा की तारीख आदि। उन्हें यह भी बताना होगा कि पुरस्कार की रकम नकदी में है अथवा TDS प्रावधानों के तहत किसी अन्य रूप में।
अधिकारी ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य इन क्षेत्रों में खुलासे और पारदर्शिता को बेहतर करना है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में अब भी खुलासे और पारदर्शिता में कमी दिख रही है। इससे राजस्व विभाग को ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में खर्च की जाने वाली रकम और इस प्रकार की गतिविधियों से प्राप्त आमदनी पर नजर रखने में मदद मिलेगी। इससे विभाग को कर चोरी पर भी लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।
अधिकारी ने बताया कि गेम होस्ट और विजेता दोनों से कुछ जानकारी मांगी जाएगी। होस्ट TDS दाखिल करने के मकसद से जानकारी देंगे और विजेता अपनी आय सीमा के तहत कर रिटर्न संबंधी जानकारी उपलब्ध कराएंगे। अधिकारी ने संकेत दिए कि नए नियम के संबंध में सभी बातें स्पष्ट रखने के लिए कुछ स्पष्टीकरण भी सामने आ सकते हैं।
इस समय गेमिंग, सट्टेबाजी, लॉटरी आदि से प्राप्त कमाई पर 30 प्रतिशत कर लगता है। गेमिंग कंपनियों को 10,000 रुपये से अधिक जीती गई रकम पर 0.1 प्रतिशत TDS काटना पड़ता है। कर विभाग को लगता है कि कई गेमिंग कंपनियां TDS नियमों का पालन नहीं कर रही हैं, जिसके लिए नियमों में कुछ त्रुटियां जिम्मेदार हैं। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘हमने उन खामियों की पहचान कर ली है और उन्हें दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।’
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TDS के मौजूदा प्रावधानों में विजेताओं और होस्ट के बीच होने वाले लेनदेन पर ज्यादा तैयारी नहीं है। जीती गई रकम गैर-नकदी या नकद और अन्य खंडों में विभाजित की जाती है तो मामला और पेचीदा हो जाता है।
इसके अलावा कर विभाग को ऐसे मामले भी दिखे हैं, जब गेमिंग कंपनियां और गेम में भाग लेने वाले लोग आपस में सांठगांठ कर लेते हैं। कुछ मामलो में रकम एक ही विजेता के कई खातों में जमा होती है। विभाग यह भी सोच रहा है कि विदेशी कंपनियों द्वारा रकम भेजे जाने के मामले में बैकिंग चैनलों को आगाह किया जाना चाहिए या नहीं। ऐसी स्थिति उन मामलों में पैदा होती है, जब गेमिंग पोर्टल दूसरे देशों में होते हैं और TDS के दायरे में नहीं आते हैं।
भारत में कुछ बिचौलिये रकम भेजते हैं। इन्हें ही अंतिम भुगतान में TDS काटना होता है। एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि मगर कुछ गेमिंग पोर्टल कर बचाने के चक्कर में बिचौलिये या मध्यस्थ ही नहीं रखते।