सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने दूरसंचार नियामक ट्राई (TRAI) के नवीनतम दिशानिर्देशों के तहत 1 मई से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लैंग्वेज (एआई/एमएल) प्रणाली के माध्यम से स्पैम कॉल को रोकने और उस पर नजर रखनी शुरू कर दी है। ट्राई के अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को इसकी जानकारी दी। अवांछित व्यावसायिक संचार की बढ़ती समस्या को दूर करने के लिए इसे पहला बड़ा तकनीकी उपाय माना जा रहा है। सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने ट्राई को पुष्टि की है कि उन्होंने एमआई/एमएल प्रणाली की तैनाती शुरू कर दी है।
उक्त अधिकारियों ने कहा कि फिल्टर सिस्टम दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) प्लेटफॉर्म पर काम करता है और नए अपडेट के लिए तैयार है जिसके नियम जल्द ही जारी किए जाएंगे। डीटीएल प्लेटफॉर्म डिजिटल प्रणाली होती है जो प्रेषक की आईडी और टैम्प्लेट के रिकॉर्ड को सहेजती है और उसका प्रबंधन करती है। भारत में इसका संचालन रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और भारत संचार निगम जैसे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा किया जाता है।
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बिज़नेस को प्रासंगिक विवरण जमा कर और विशिष्ट हेडर्स और मेसेज टैम्प्लेट – कारोबार या ब्रांड को दर्शाने वाला कीवर्ड, जो संदेश प्राप्त करने पर उपयोगकर्ता के फोन पर दिखाई देता है, हासिल कर डीटीएल पर पंजीकृत करना होता है। आम तौर पर समस्या उस समय दिखती है जब कानूनी तौर पर मुख्य कंपनी के रूप में वर्गीकृत कंपनियां अपने ग्राहकों को संदेश भेजने के लिए किसी टेलीमार्केटर से थोक एसएएमस पैक खरीदती हैं। अब टेलीमार्केटर को डीएलटी प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत होना होगा।
अधिकारियों ने कहा कि दूरसंचार नियामक जल्द ही स्पैम फोन कॉल पर रोक लगाने के लिए दूरसंचार कंपनियों द्वारा किए गए अन्य उपायों की प्रगति की भी समीक्षा करेगा। ट्राई ने दूरसंचार कंपनियों से कहा था कि ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे मोबाइल फोन की स्क्रीन पर फोन करने वाले का नाम और फोटो दिखने लगे।
हालांकि निजता के आधार पर इसमें कई समस्याएं दिखी थीं। इस साल के आरंभ में ट्राई ने स्पैम मेसेज इनबॉक्स वाली टेलीमार्केर्टिंग कंपनियों पर सख्ती करते हुए उन्हें डीएलटी प्लेटफॉर्म को साफ करने और बिना सत्यापन वाले सभी टेलीमार्केटिंग खातों को बंद करने के लिए कहा था। दूरसंचार नियामक ने कहा था कि जरूरत पड़ी तो इस प्रकार के मेसेज भेजने में शामिल कंपनियों की भी पहचान की जाएगी।
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ट्राई का मानना है कि अनचाही फोन कॉल के मामले में काफी कुछ करना अभी बाकी है। उसने कहा, ‘सरकार अन्य सख्त उपायों को लागू करने की भी तैयारी कर रही है। इसके लिए कई प्रौद्योगिकी पर चर्चा की जा रही है।’ऐसी ही एक तकनीक है डिजिटल सामग्री सत्यापन (डीसीए) प्रौद्योगिकी। इसे सरकारी हितधारकों से सबसे अधिक मंजूरी मिली है।
डीसीए के तहत ग्राहकों से उन ब्रांडों अथवा कंपनियों के लिए सहमति ली जाती है जिनसे वे मेसेज अथवा कॉल प्राप्त कर सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि डीसीए को जल्द लागू करने के लिए संयुक्त नियामकीय समिति का समर्थन है। दूरसंचार संसाधनों का दुरुपयोग पर लगाम लगाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्य से इस समिति का गठन किया गया।