प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
नीति आयोग का कहना है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिए जाने के लिए अब नियमों एवं शर्तों का सहारा लिए जाने का समय आ गया है। नीति आयोग का कहना है कि देश में ईवी के विकास के लिए सरकार की तरफ से पर्याप्त प्रोत्साहनों की घोषणा पहले ही हो चुकी है।
नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘देश में ईवी का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से पिछले 10 वर्षों के दौरान 40,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। इतनी बड़ी राशि के आवंटन के बाद भी देश में सालाना कुल वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी मात्र 7.6 प्रतिशत तक ही पहुंच पाई है। इससे स्पष्ट है कि केवल प्रोत्साहन देकर इन वाहनों की बिक्री नहीं बढ़ाई जा सकती और अगले पांच वर्षों में कुल बिक्री में इनकी हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता।‘
नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि अब समय आ गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए तौर-तरीके बदले जाएं और नियम-शर्तें तय की जाएं। आयोग के अनुसार मौजूदा प्रोत्साहनों के अलावा ये कदम उठाए जाने चाहिए ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े निर्देश अधिक गंभीरता एवं सख्ती से लागू हो पाएं। आयोग ने कहा कि सरकार को शून्य उत्सर्जन वाहनों के लिए एक स्पष्ट नीति तैयार करने के साथ ही ईवी के उत्पादन एवं इनकी बिक्री के लिए ठोस योजना की घोषणा करनी चाहिए।
आयोग के अनुसार सरकार को पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों के इस्तेमाल एवं उत्पादन थामने के लिए कदम उठाने चाहिए। नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि अधिक श्रेणियों के वाहनों के लिए कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन एवं विस्तार से जुड़ा ढांचा तैयार किया जाना चाहिए।