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चीन की पाबंदी से EV उद्योग में मैग्नेट की किल्लत, मोंट्रा इलेक्ट्रिक ने जताई चिंता, कहा- वैकल्पिक तकनीक में लगेंगे 2–3 साल

चीन के निर्यात प्रतिबंध के चलते मैग्नेट की कमी से जूझ रहा है वाहन उद्योग, मोंट्रा इलेक्ट्रिक ने वैकल्पिक तकनीक पर काम शुरू करने की बात कही।

Last Updated- June 20, 2025 | 10:31 PM IST
Electric vehicles (EV)
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

वाहन उद्योग में दुर्लभ खनिज मैग्नेट की कमी मोंट्रा इलेक्ट्रिक सहित सभी के लिए चिंता का मसला है और इस मसले को जल्द ही हल किया जाना चाहिए। यह कहना है कि टीआई क्लीन मोबिलिटी के प्रबंध निदेशक जलज गुप्ता का। टीआई क्लीन मोबिलिटी को मोंट्रा इलेक्ट्रिक ब्रांड नाम से जाना जाता है और यह 80,000 करोड़ रुपये के मुरुगप्पा समूह का हिस्सा है।

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दिल्ली में मोंट्रा इलेक्ट्रिक के नए तिपहिया सुपर कार्गो की शुरुआत के मौके पर गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘क्या आप इन दुर्लभ खनिज मैग्नेट के उपयोग के बिना किसी इलेक्ट्रिक वाहन की मोटर बना सकते हैं? इसका जवाब है हां। इसमें कितना समय लगेगा? इसमें कम से कम 2 से 3 साल लगेंगे।

देश के वाहन उद्योग को वर्तमान में दुर्लभ खनिज मैग्नेट की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि चीन ने अप्रैल 2025 में सख्त निर्यात नियंत्रण लागू कर दिया है। भारत के मैग्नेट आयात में 80 प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति चीन करता है। इन नियमों के लिए विस्तृत अंतिम-उपयोग की घोषण जरूरी की गई है और जून के मध्य तक खेपें लगभग पूरी तरह रुक गई हैं।

First Published - June 20, 2025 | 10:28 PM IST

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