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दुर्लभ खनिजों की कम सप्लाई से EV की रफ्तार पर लगेगा ब्रेक, चीन की पाबंदी से उत्पादन और कीमतों पर दबाव

दुर्लभ खनिज मैग्नेट का 92 फीसदी वै​श्विक उत्पादन चीन में ही होता है। इसमें अन्य देशों का योगदान बेहद मामूली है जिनमें जापान का 7 फीसदी और वियतनाम का महज 1 फीसदी योगदान है।

Last Updated- June 01, 2025 | 10:34 PM IST
EV

दुर्लभ खनिजों पर चीन द्वारा लगाए गए नए निर्यात प्रतिबंध 4 अप्रैल से प्रभावी हैं। इससे भारतीय वाहन विनिर्माताओं को आपूर्ति में देरी जैसी समस्या से पहले ही जूझना पड़ रहा है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही ​स्थिति बरकरार रही है तो उत्पादन प्रभावित होने की भी आशंका है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे अ​धिक प्रभाव इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन पर दिखेगा क्योंकि भारतीय विनिर्माताओं के पास महज 6 से 8 सप्ताह के लायक स्टॉक ही
उपलब्ध है।

सूत्रों का कहना है कि वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम और वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के संगठन एक्मा के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर चिंता जताने के लिए चीन के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करने का अनुरोध किया था। मगर दोनों देशों के अधिकारियों द्वारा अब तक मंजूरी नहीं दी गई है। चीन के नए नियमों के कारण न केवल शिपमेंट में देरी हो रही है ब​ल्कि प्रक्रिया संबंधी कई बाधाएं भी पैदा हो गई हैं। ऐसे में उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।

दुर्लभ खनिज मैग्नेट का 92 फीसदी वै​श्विक उत्पादन चीन में ही होता है। इसमें अन्य देशों का योगदान बेहद मामूली है जिनमें जापान का 7 फीसदी और वियतनाम का महज 1 फीसदी योगदान है।

उद्योग के एक सूत्र ने बताया कि सायम और एक्मा ने इसी संदर्भ में चीन जाने का अनुरोध किया है, लेकिन अब तक हरी झंडी नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘यह उद्योग के लिए काफी मायने रखता है क्योंकि फिलहाल हम वैकल्पिक बाजारों का भी फायदा नहीं उठा सकते हैं। जापान और वियतनाम केवल अपनी घरेलू खपत के लिए ही उत्पादन कर रहे हैं, जबकि यूक्रेन की इकाइयां युद्ध के कारण बंद हैं।’

प्राइमस पार्टनर्स के उपाध्यक्ष निखिल ढाका ने कहा, ‘भारत में अ​धिकतर मूल उपकरण विनिर्माताओं के पास दुर्लभ खनिजों का स्टॉक केवल 6 से 8 सप्ताह के लायक ही बचा है। उसके बाद उत्पादन बा​धित होने की आशंका है। बजाज ने जुलाई में नरमी के बारे में आगाह किया है जो इस मामूली बफर स्टॉक की वजह से हो सकता है।’

इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। उद्योग के आकलन के अनुसार, भारत में दुर्लभ खनिज और विशेष रूप से नियोडिमियम आयरन बोरॉन मैग्नेट की खपत 2032 तक कई गुना बढ़कर 15,400 टन हो जाने की उम्मीद है, जिसका मूल्य करीब 15,678 करोड़ रुपये होगा। साल 2022 में करीब 1,255 करोड़ रुपये मूल्य के 1,700 टन नियोडिमियम आयरन बोरॉन मैग्नेट की खपत हुई थी।

भारत में दुर्लभ खनिजों का दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा भंडार होने के बावजूद फिलहाल उत्पादन की क्षमता काफी सीमित है। भारत आईआरईएल के जरिये सालाना महज 1,500 टन नियोडिमियम-प्रैसियोडिमियम का उत्पादन करता है।

ढाका ने कहा, ‘खास तौर पर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए इसका प्रभाव काफी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली ईवी श्रेणी है। दुर्लभ खनिज और विशेष रूप से नियोडिमियम आयरन बोरॉन मैग्नेट अ​धिक ताकत बनाम वजन अनुपात और छोटे आकार के कारण ईवी मोटर के लिए काफी अहम है। प्रति दोपहिया वाहन करीब 600 ग्राम नियोडिमियम आयरन बोरॉन मैग्नेट का उपयोग होता है।’ दुर्लभ खनिजों का उपयोग इलेक्ट्रिक मोटर, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी कूलिंग, असेंबली मॉड्यूल और सेंसर आधारित प्रणालियों में किया जाता है।

उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी तरह का व्यवधान ईवी मॉडलों के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
अन्य स्रोतों पर निर्भरता के कारण लागत भी बढ़ सकती है। इससे न केवल डिलिवरी में देरी होगी ब​ल्कि स्टॉक में भी कमी आएगी, मार्जिन प्रभावित होगा और कीमतों में इजाफा होगा। आ​खिरकार उपभोक्ता मांग कम हो सकती है और वह भी ऐसे समय में जब बाजार विस्तार के एक महत्त्वपूर्ण चरण से गुजर रहा है।

First Published - June 1, 2025 | 10:34 PM IST

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