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Apple, Google और Meta जैसी बड़ी कंपनियों की मनमानी होगी खत्म, भारत सरकार ला रही नया कानून

भारत सरकार बड़ी टेक कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए यूरोपीय संघ के नियमों से प्रेरित होकर एक नए कानून "डिजिटल कंप्टीशन बिल" लाने पर विचार कर रही है।

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देवव्रत बाजपेयी   
Last Updated- June 11, 2024 | 3:09 PM IST

भारत सरकार एक नए कानून पर विचार कर रही है जो टेक्नॉलॉजी कंपनियों जैसे Apple, Google और Meta के लिए सख्त नियम लागू करेगा। यह यूरोपीय संघ के नियमों जैसा होगा और इन कंपनियों के कारोबार के तरीके को बदल सकता है।

अमेरिका का एक बड़ा व्यापारिक संगठन इस कानून का विरोध कर रहा है क्योंकि उसे लगता है कि इससे इन कंपनियों को नुकसान होगा। इस नए कानून को “डिजिटल कंप्टीशन बिल” कहा जाता है और इसका मकसद मौजूदा नियमों के साथ मिलकर बाजार में हेल्दी कंपटीशन को बढ़ावा देना है।

भारत सरकार बड़ी टेक कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए यूरोपीय संघ के नियमों से प्रेरित होकर एक नए कानून “डिजिटल कंप्टीशन बिल” लाने पर विचार कर रही है। यह कानून उन कंपनियों पर लागू होगा जिन्हें “डिजिटल रूप से महत्वपूर्ण” माना जाता है।

इनमें वे कंपनियां शामिल हैं जिनकी भारत में सालाना कमाई 3600 करोड़ रुपये से अधिक है, या वैश्विक कमाई 225,000 करोड़ रुपये से अधिक है, साथ ही जिनके भारत में कम से कम 10 करोड़ उपभोक्ता हैं। अभी तक इस कानून को संसद की मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन माना जा रहा है कि Apple, Google, Meta और Amazon जैसी बड़ी कंपनियां इसके दायरे में आ सकती हैं।

कौन सी कंपनियां प्रभावित होंगी?

यह कानून उन कंपनियों पर लागू होगा जिन्हें “डिजिटल रूप से महत्वपूर्ण” माना जाता है। इनमें वे कंपनियां शामिल हैं जिनकी भारत में सालाना कमाई 3600 करोड़ रुपये से अधिक है, या वैश्विक कमाई 225,000 करोड़ रुपये से अधिक है, साथ ही जिनके भारत में कम से कम 10 करोड़ उपभोक्ता हैं।

अभी तक इस कानून को संसद की मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन माना जा रहा है कि Apple, Google, Meta और Amazon जैसी बड़ी कंपनियां इसके दायरे में आ सकती हैं।

यह कानून क्यों लाना चाहती है भारत सरकार?

भारत सरकार का कहना है कि डिजिटल बाजार में कुछ बड़ी कंपनियों का बहुत ज्यादा दबदबा बन गया है। ये कंपनियां पूरे बाजार को नियंत्रित कर रही हैं, जिससे छोटी कंपनियों और नए कारोबारों के लिए मुश्किल हो जाती है। सरकार इस असंतुलन को कम करना चाहती है ताकि बाजार में हेल्दी कंपटीशन बना रहे। इसीलिए वो एक नया कानून ला रही है।

प्रस्ताव के अनुसार, इस कानून के तहत आने वाली कंपनियों को बाजार में निष्पक्ष रवैया अपनाना होगा, वरना उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, ये कंपनियां यूजर्स के निजी डेटा का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी और अपने प्लेटफॉर्म पर खुद को अनुचित फायदा नहीं पहुंचा सकेंगी।

यूजर्स को अपनी पसंद के ऐप्स डाउनलोड करने और डिवाइस की डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स चुनने की स्वतंत्रता भी मिलेगी। इस पूरे प्रस्ताव पर अब कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा विचार किया जाएगा जिसकी मंत्री निर्मला सीतारमण हैं।

क्या बड़ी टेक कंपनियां नियम तोड़ रही हैं?

कई टेक कंपनियां पहले से ही भारत सरकार की जांच के घेरे में हैं। मिसाल के तौर पर, अमेज़न और फ्लिपकार्ट (जो वॉलमार्ट की कंपनी है) पर आरोप है कि वे अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कुछ खास विक्रेताओं को ज्यादा फायदा दे रही हैं, जिससे बाकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है।

वहीं, गूगल पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है और उस पर कानूनी लड़ाई भी चल रही है। इस लड़ाई में आरोप है कि गूगल एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम में अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल कर रही है।

उदाहरण के लिए, गूगल यूजर्स को ये सुविधा नहीं देती कि वे पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप्स को हटा सकें। इसके अलावा, गूगल और एप्पल पर भी जांच चल रही है। इन पर आरोप है कि ये कंपनियां अपने इन-ऐप पर्चेज सिस्टम को ज्यादा फायदा पहुंचाती हैं, जिससे दूसरी कंपनियों को नुकसान होता है। हालांकि, इन कंपनियों ने किसी भी तरह के गलत काम करने से इनकार किया है। (रॉयटर्स के इनपुट के साथ)

First Published : June 11, 2024 | 3:05 PM IST