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तकनीकी अनुसंधान में भारत बन रहा महाशक्ति, विश्व की 64 में से 45 महत्त्वपूर्ण टेक्नोलॉजी में टॉप पांच देशों में शामिल

वैश्विक अनुसंधान चार्ट में चीन सबसे ऊपर है और महत्त्वपूर्ण 64 प्रौद्योगिकियों में 57 पर उसका दबदबा है। इसके उलट अमेरिका का नंबर आता है।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- August 31, 2024 | 12:23 AM IST

प्रौद्योगिकी अनुसंधान क्षेत्र में भारत एक बड़ी वैश्विक महाशक्ति बन कर उभरा है। वर्ष 2023 में जारी रैंकिंग में 64 महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में से 45 में यह शीर्ष 5 देशों में शामिल है। एक साल पहले यह 37 पर था। ऑस्ट्रेलियाई स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी ट्रैकर रिपोर्ट के अनुसार 7 प्रौद्योगिकियों में भारत को दूसरा स्थान मिला है।

पिछले वर्ष भारत बायो- विनिर्माण और डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) जैसे प्रौद्योगिकी शोध के दो उभरते क्षेत्रों में अमेरिका को पछाड़ते हुए भारत ने दूसरा स्थान हासिल किया था। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के बहुत तेजी से उभरते क्षेत्र में एडवांस डेटा एनालिटिक्स, एआई एल्गोरिदम, हार्डवेयर एक्सलरेटर, मशीन लर्निंग, एडवांस इंटीग्रेटेड सर्किट डिजाइन ऐंड फैब्रिकेशन, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और एडवर्सेरियल एआई जैसे महत्त्वपूर्ण सेगमेंट में भारत केवल अमेरिका और चीन से ही पीछे है।

रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में 2003 से 2007 के बाद यह बड़ी छलांग है जब भारत केवल चार प्रौद्योगिकियों के साथ शीर्ष पांच देशों में शुमार था। यह ट्रैकर अंतरिक्ष, रक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, एआई, रोबोटिक्स, बॉयोटेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा, एडवांस कंप्यूटिंग, एडवांस मैटेरियल और क्वांटम तकनीक समेत कई महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को अपने शोध में शामिल करता है।

इसने वर्ष 2003 से 23 तक के आंकड़े जुटाए हैं तथा सबसे अधिक उद्धृत पत्रों के शीर्ष 10 प्रतिशत के रूप में परिभाषित उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान पर नजर रखी। इस प्रकार यह किसी देश के अनुसंधान प्रदर्शन, रणनीतिक लक्ष्यों और भविष्य की प्रौद्योगिकी क्षमता के संकेतक के रूप में होता है।

वैश्विक अनुसंधान चार्ट में चीन सबसे ऊपर है और महत्त्वपूर्ण 64 प्रौद्योगिकियों में 57 पर उसका दबदबा है। इसके उलट अमेरिका का नंबर आता है। वर्ष 2019 से 2023 के बीच की रैंकिंग के आधार पर इस समय 7 क्षेत्रों में ही वह शीर्ष पर है, जिसमें क्वांटम कंप्यूटिंग और वैक्सीन और मेडिकल काउंटरमेशर्स शामिल हैं जबकि वर्ष 2003 से 2007 के बीच 60 प्रौद्योगिकियों में उसका प्रभुत्व था। शोध के मामले में ब्रिटेन की स्थिति में भी गिरावट दर्ज की गई है और 37 प्रौद्योगिकियों में से केवल 5 में ही उसका पांचवां स्थान है। पिछले साल यह संख्या 44 थी।

यूरोपियन यूनियन छोटे उपग्रह और गुरुत्वाकर्षण बल सेंसर जैसे दो क्षेत्रों में अग्रणी है और 30 क्षेत्रों में उसकी रैंक दूसरी है। दूसरी ओर, जर्मनी को 27 प्रौद्योगिकियों के लिए शीर्ष पांच रैंकिंग हासिल है। हालांकि भारत ने अभी किसी महत्त्वपूर्ण प्रौद्योोगिकी में नेतृत्व नहीं किया है, लेकिन इसने हाई स्पेसिफिक मशीन प्रोसेस, एडवांस कंपोजिट मैटेरियल, मेस ऐंड बुनियादी ढांचा-स्वतंत्र नेटवर्क, स्माल मैटेरियल और बायो-फ्यूल आदि क्षेत्रों में दूसरी रैंक हासिल की है। कई महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में भारत ने तीसरी रैंक पाई है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक हथियार, स्वायत्त भूमिगत जल वाहन, सोनार और ध्वनिक सेंसर, फोटोनिक सेंसर, पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी फोटोवोल्टिक, परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन, सुपरकैपेसिटर और उन्नत विमान इंजन आदि शामिल हैं।

यह रिपोर्ट भारत के अनुसंधान प्रयासों की उत्कृष्ट अनुसंधानकर्ता की कमी जैसी खामियों को भी रेखांकित करती है। वर्ष 2003 से 2023 के बीच पिछले दो दशकों में 64 प्रौद्योगिकियों में शीर्ष पांच में केवल पांच भारतीय संस्थान ही शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन खामियों की वजह से विदेशी अनुसंधान प्रतिभाओं को आकर्षित करने और भारतीय वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विशेषज्ञों को देश में ही रुकने अथवा विदेश से वापस आकर देसी संस्थानों में काम करने को प्रेरित करने की भारत की क्षमताएं सीमित हो सकती हैं।

First Published : August 30, 2024 | 11:28 PM IST