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साल के अंत तक लागू हो सकते हैं डेटा सुरक्षा नियम, विनायक गोडसे ने दिए संकेत

डीपीडीपी अधिनियम से जुड़े नियम इस साल के अंत तक आने की संभावना है, जिससे भारत में डेटा सुरक्षा और डिजिटल गोपनीयता कानून लागू करने का रास्ता साफ होगा

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अविक दास   
Last Updated- August 25, 2025 | 10:45 PM IST

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) अधिनियम से संबंधित नियमों इस साल के अंत तक प्रकाशित होने की संभावना है। इससे लगभग दो साल पहले पारित हुए डेटा गोपनीयता कानून के लागू होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद (डीएससीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनायक गोडसे ने यह जानकारी दी। बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में गोडसे ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि यह मामला विचार-विमर्श के अंतिम चरण में है और इस साल के अंत तक नियम आ सकते हैं।’

केंद्र सरकार ने नियमों का मसौदा तैयार कर लिया है। सभी संबं​धित हितधारकों से सुझाव ले लिए गए हैं, लेकिन प्रशासनिक नियमों के जारी होने में देरी के कारण अभी तक यह अधिनियम लागू नहीं हो पाया है। कई लोगों का मानना है कि सरकार ने सभी क्षेत्रों – बैंकों और बीमाकर्ताओं से लेकर बड़ी टेक्नॉलजी कंपनियों तक नियमों के प्रभाव का आकलन करने में धीमी गति से काम किया है।

गोडसे ने कहा कि लोग अधिनियम से पड़ने वाले प्रभाव को अभी नहीं समझ पाए हैं, क्योंकि यह देश में डेटा प्रबंधन के तरीके को बदल देगा। उनका मानना है कि जल्दबाजी में पछताने से बेहतर है कि बेहद सोच-समझ कर नियम बनाए जाएं, भले इसमें कितना भी वक्त लगे।

उन्होंने कहा, ‘भारत में लाखों संगठन डेटा एकत्र और संसाधित कर रहे हैं। चाहे सरकारी इकाइयां हों या बड़ी टेक कंपनियां सभी के लिए इसे लागू करना बड़ी चुनौती है। इसलिए इस बात का बहुत ध्यान रखना होगा कि कानून किस तरह लागू हो। हमारे जैसे बड़े देश में यह आसान नहीं है। बाद में पछताने से बेहतर है कि नियम बनाने में कुछ समय और लग जाए।’

गोडसे के अनुसार, यूपीआई और आधार जैसे भारत के डिजिटल नवाचार दुनिया में सबसे आगे रहे हैं और देश एक ऐसा कानून बना रहा है जो बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे डिजिटलीकरण के पहियों को शायद कुछ धीमा कर दे। उन्होंने कहा, ‘कानून के प्रति बहुत सावधान रहना होगा, क्योंकि यह बड़ी टेक कंपनियों और यहां तक कि बैंकों एवं बीमाकर्ताओं के लिए भी समान रूप से लागू होगा, जिनका व्यवसाय पूरी तरह अलग प्रकृति का है।’

विशेष रूप से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए उनके माता-पिता द्वारा दी जाने वाली सहमति के बारे में गोडसे इसे एक चुनौती के रूप में देखते हैं। वह कहते हैं, ‘यह मुश्किल है। अधिनियम की गोपनीयता और बुनियादी लोकाचार से समझौता किए बिना आप इसे कैसे सुनिश्चित करते हैं। कभी-कभी माता-पिता भी अपने 14 से 18 साल के बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने देते हैं। इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है कि आप इस जानकारी को कैसे प्राप्त करते हैं।’

डीपीडीपी अधिनियम के प्रावधान ऑनलाइन बाजारों के लगभग सभी पहलुओं को कवर करते हैं, जिसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि भारतीय उपयोगकर्ताओं का व्यक्तिगत डेटा अन्य देशों की सरकारों के साथ साझा नहीं किया जाए। सरकार इस समय जोखिम से बचने के लिए भी काम कर रही है ताकि किसी वैधानिक अड़चन का सामना न करना पड़े।

First Published : August 25, 2025 | 10:45 PM IST