भारत में मोबाइल ऐप्लिकेशन के बाजार में एक बड़ा उलटफेर हुआ है। जोहो का मेसेजिंग ऐप अरटई डाउनलोड के मामले में गूगल की जेमिनाई और चैटजीपीटी को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंच गया है। ऐपल स्टोर और गूगल प्ले स्टोर दोनों प्लेटफॉर्म पर अरटई ने यह कारनामा कर दिखाया है।
अरटई ने सरकार के स्वदेशी उत्पाद अपनाने के आह्वान के बीच यह मुकाम हासिल किया है। 22 सितंबर को केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी अपनाने के आह्वान की तर्ज पर नागरिकों से स्वदेशी डिजिटल उत्पाद अपनाने का आग्रह किया था। वैष्णव ने सॉफ्टवेयर के ‘स्वदेशी’ ज़ोहोसूट अपनाने की अपनी योजनाओं की घोषणा की थी।
आनंद महिंद्रा सहित कई दिग्गजों ने भी अरटई अपनाने के लिए प्रचार किया था जिससे इसे और अधिक लोकप्रियता मिली। स्वदेशी उत्पादों के इस्तेमाल पर सरकार द्वारा जोर दिए जाने के बाद परप्लेक्सिटी एआई का भी रसूख बढ़ा है। आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र अरविंद श्रीनिवास द्वारा सह-स्थापित लेकिन अमेरिका में मुख्यालय वाला परप्लेक्सिटी एआई एक जेनरेटिव एआई संचालित प्लेटफॉर्म है जिस पर यूजर अपने प्रश्नों के उत्तर पा सकते हैं।
परप्लेक्सिटी अब अपने प्रतिद्वंद्वियों चैटजीपीटी और जेमिनाई को पीछे छोड़कर दूसरा सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला ऐप बन गया है। गूगल प्ले स्टोर पर, अरटई 27 सितंबर को 117वें स्थान पर था। मगर 1 अक्टूबर तक यह तीसरे स्थान तक उछल गया। अगले दिन यह शीर्ष पर पहुंच गया और 7 अक्टूबर तक इस पायदान पर बना हुआ था।
ऐप स्टोर पर अरटई 25 सितंबर को 82वें स्थान से 27 सितंबर तक दूसरे स्थान (केवल गूगल जेमिनाई से पीछे) पर पहुंच गया और फिर 29 सितंबर को शीर्ष पर पहुंच गया जिस पर यह बना हुआ है।
परप्लेक्सिटी की लोकप्रियता भी अरटई की तरह ही बढ़ी है। 22 सितंबर को गूगल प्ले पर यह 22 सितंबर से तीसरे और चौथे स्थान के बीच घूमता रहा मगर 4 अक्टूबर को अरटई के बाद सीधे दूसरे स्थान पर पहुंच गया और अब तक इस पायदान पर कायम है।
जोहो के अनुसार 3 अक्टूबर तक अरटई 75 लाख बार डाउनलोड हुआ था। हालांकि, इसके संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने अरटई को सूचीबद्ध कराने को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी दिखाने के प्रति आगाह किया है। उन्होंने कहा कि अरटई को किसी सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी के लिए बनाना संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि शुरू में कर्मचारियों ने भी संदेह जताया था।
अपनी शानदार शुरुआती सफलता पाने के बावजूद अरटई फिलहाल मेटा के व्हाट्सऐप को चुनौती देने से कोसों दूर है। व्हाट्सऐप के भारत में 53.7 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं। मगर अरटई को कुछ फायदे भी मिल रहे हैं। घरेलू डेटा स्टोरेज, विज्ञापन की गैर-मौजूदगी, उपयोगकर्ताओं की जानकारियां सुरक्षित रहने और एक सरल, साफ इंटरफेस से जोहो को काफी ताकत मिल रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ऑडियो और वीडियो कॉल तो सुरक्षित हैं (एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड) हैं, लेकिन मैसेजिंग एन्क्रिप्शन अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।