प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अगस्त के दूसरे पखवाड़े में डीलरों को वाहनों की खेप और खुदरा बिक्री को झटका लगा है, क्योंकि जीएसटी पर असमंजस के कारण ग्राहक डीलरों को ऑर्डर नहीं दे रहे हैं। वाहन पोर्टल के आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई की तुलना में अगस्त में बिक्री में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है। अगस्त में कुल खुदरा बिक्री 19,16,350 वाहन रही। जुलाई में यह संख्या 19,70,559 थी। ये आंकड़े 30 अगस्त तक के हैं और पंजीकरण के अंतिम आंकड़े अभी जारी नहीं होने से इनमें अंतर हो सकता है। खुदरा बिक्री तकरीबन ठप हो जाने से अगस्त के अंतिम सप्ताह में मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) द्वारा डीलरों को भेजी जाने वाली खेपों को भी झटका लगा है।
जून के मुकाबले जुलाई में यात्री वाहन श्रेणी में खुदरा बिक्री में मासिक आधार पर 10.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसकी वजह थी आषाढ़ और डिलिवरी के शुभ दिन। इसके अलावा लक्ष्यबद्ध योजनाओं, नए मॉडलों की शुरुआत और ग्रामीण क्षेत्र में आक्रामक मार्केटिंग ने दूरदराज के इलाकों में बिक्री को बढ़ावा दिया। महीने के अंत तक यह जोरदार ढंग से बढ़ गई। देश भर के कई डीलरों ने संकेत दिया है कि बिक्री ठप पड़ गई है।
दक्षिण भारत में कई ब्रांड वाली डीलरशिप के मालिक ने कहा, ‘महिंद्रा को छोड़कर ज्यादातर ओईएम अपनी कारों को डीलरों के पास भेजना जारी रखे हुई हैं। कुछ डीलरों के यहां तो बिना बिके वाहनों का स्तर बढ़कर 75 दिनों की आपूर्ति तक पहुंच चुका है। हमने ओईएम के साथ इस पर चर्चा शुरू कर दी है कि इसका सबसे अच्छा उपाय क्या हो सकता है।’
फाडा ने कहा था कि जुलाई के अंत में बिना बिके वाहनों का स्तर 55 दिनों की अपूर्ति पर बना हुआ था। अब डीलर सूत्र संकेत दे रहे हैं कि कई ब्रांडों के मामले में कुछ डीलरों के पास बिना बिके वाहनों का स्तर 65 से 70 दिनों को पार कर गया है। वाहन पोर्टल के अनुसार मारुति सुजूकी, ह्युंडै मोटर्स जैसी प्रमुख ओईएम की खुदरा बिक्री में कुछ कमी देखी गई है। इसका मुख्यकारण जीएसटी का ऐलान है, जिससे लोग खरीदारी टाल रहे हैं।