पिछले हफ्ते भारत आए माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन सत्य नडेला ने भारतीयों से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) में शोध के लिए अपनी गणितीय प्रतिभा का लाभ उठाने के लिए कहा है। फिलहाल भारत को वैश्विक एआई की बाजी में दिग्गज बनने के लक्ष्य में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए, एआई के लिए पूरी दुनिया में इतना शोर-शराबे के बावजूद दुनिया भर की तरह उद्यम पूंजीपति अभी भी इस क्षेत्र की कंपनियों पर बड़ा दांव नहीं लगा रहे हैं।
साल 2024 में ट्रैक्सन के आंकड़ों के मुताबिक, एआई एज-ए-सर्विस और एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी प्रौद्योगिकी स्टार्टअप ने 29 चरणों में कुल मिलाकर 14.59 करोड़ डॉलर जुटाए, जो सभी स्टार्टअप कंपनियों द्वारा जुटाई गई कुल 11.2 अरब डॉलर का महज 1.2 फीसदी है। साल 2019 से 2024 के बीच ये कंपनियां कुल मिलाकर सिर्फ 2.25 अरब डॉलर ही जुटा सकीं यानी औसतन 37.5 करोड़ डॉलर सालाना।
शोध संस्थान टॉरटॉइज द्वारा वैश्विक एआई सूचकांक में अच्छी खबर यह है कि भारत पिछले साल पहली बार शीर्ष 10 के निचले स्थान में आ गया है। संस्थान 122 संकेतकों के आधार पर 83 देशों की एआई क्षमता की रैंकिंग करती है।
मगर इसने चुनौती के प्रमुख क्षेत्रों की भी पहचान की है। एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर भारत काफी नीचे 68वें स्थान पर है, जिसके लिए भारी भरकम निवेश करने की जरूरत होगी। खास रिसर्च वैज्ञानिकों की कमी के कारण एआई अनुसंधान के मोर्चे पर भारत 14 वें स्थान पर है और प्लेटफॉर्म एवं एल्गोरिदम की वृद्धि के मामले में 13वें स्थान पर है जिस पर एआई की नई परियोजनाएं निर्भर करती हैं।
देश को अपनी सरकारी रणनीति में भी सुधार करने की दरकार है, जहां यह 11वें पायदान पर है। इसके अलावा, वाणिज्यिक मानदंड पर भी भारत 13वें स्थान पर है, जो एआई आधारित स्टार्टअप गतिविधि, निवेश और कारोबारी पहलों पर केंद्रित है। यह एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां इसकी कमी है। भारत प्रतिभाओं के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है , लेकिन शोध में चेताया गया है कि अधिकांश एआई प्रतिभा दूसरे देश का रुख कर लेती है। इसके अलावा, एआई में देश की सफलता उच्च निजी निवेश स्तर अथवा कंप्यूटिंग क्षमता में तब्दील भी नहीं हो पाई है।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की साल 2024 में जेनरेटिव एआई (जेन-एआई) पर रिपोर्ट के मुताबिक, एआई पेटेंट कराने के मोर्चे पर साल 2014 से 2023 के बीच दुनिया भर में दायर किए गए जेन एआई पेटेंट में भारत की हिस्सेदारी महज 3 फीसदी है। इसके मुकाबले चीन के पास सर्वाधिक 77 फीसदी हिस्सेदारी। अमेरिका की 11 फीसदी, दक्षिण कोरिया की 8 फीसदी और जापान की 6 फीसदी हिस्सेदारी है।
दूसरे स्तर पर, साल 2014 से 2023 के आंकड़ों के आधार पर दुनिया भर में जेन-एआई के लिए शीर्ष 20 पेटेंट मालिकों की सूची में कोई भी भारतीय कंपनी अथवा शोध संस्थान नहीं है। इसमें भी टेनसेंट, बैडू, अलीबाबा और बाइट डांस जैसी चीनी कंपनियों का दबदबा है।
मगर भारत के लिए अच्छी बात है कि इसके पास दुनिया में जेन-एआई पेटेंट (साल 2014 से 2023 के 1,350) की पांचवीं सबसे बड़ी संख्या है। इससे भी जरूरी बात है कि पेटेंट भी भारत की वृद्धि सालाना 56 फीसदी है, जो चीन (38,210 पेटेंट) के 50 फीसदी से कहीं अधिक है। साथ ही भारत की वृद्धि अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान से भी तेज है।
भारत अब विश्व में एआई मोबाइल ऐप्लिकेशन का सबसे बड़ा बाजार बन गया है। सेंसर टावर के मुताबिक, साल 2024 के शुरुआती आठ महीनों में भारत में 2.1 अरब यानी 21 फीसदी डाउनलोड हुए। चैट-जीपीटी, माइक्रोसॉफ्ट को पायलट और गूगल जेमिनी जैसी ऐप्लिकेशन सबसे लोकप्रिय ऐप्लिकेशन थे। मगर इसमें भी एक बड़ा अंतर है। भारतीय ज्यादातर इन ऐप्स का मुफ्त में उपयोग करते हैं, जिससे इन ऐप्स के राजस्व में केवल 2 फीसदी का योगदान होता है, जबकि उत्तरी अमेरिका और अमेरिका के बाजारों से 68 फीसदी राजस्व प्राप्त होता है।