केंद्रीय मंत्रिमंडल के शीर्ष मंत्रियों ने वाहन उद्योग के प्रमुखों को सरकार द्वारा मदद का भरोसा दिया ताकि कोविड महामारी के असर से उद्योग उबर सके। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के 60वें सालाना सम्मेलन में मंत्रियों ने कहा कि कबाड़ प्रोत्साहन नीति जैसे उपायों की जल्द घोषणा की जाएगी और साथ ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) घटाने के बारे में जीएसटी परिषद में विचार किया जाएगा।
केंद्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘मांग को बढ़ावा देने के तत्काल उपाय किए जाएंगे। जीएसटी परिषद राजस्व पर पडऩे वाले असर और अन्य कारकों को ध्यान में रखकर विचार करेगा। मैं आशा करता हूूं कि आपको जल्द ही अच्छी खबर मिलेगी।’ त्योहारों से पहले मांग को बढ़ावा देने के लिए सायम के अध्यक्ष राजन वढेरा द्वारा प्रोत्साहन की मांग पर जावडेकर ने यह भरोसा जताया।
वढेरा ने कहा कि वित्त वर्ष 2019 तक वाहन बिक्री के लिहाज से दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश था लेकिन कोरोना तथा अन्य नियामकीय कारणों से वह करीब एक दशक पीछे के स्तर पर पहुंच गया है। 2019-20 में देश में करीब 27 लाख कारें और यूटिलिटी वाहनों की बिक्री हुई, जो 2011 के करीब 25 लाख वाहनों की बिक्री के करीब आ गई है।
मारुति सुजूकी इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी केनिची आयुकावा ने कहा, ‘भारतीय वाहन उद्योग अब तक के सबसे कठिन समय का सामना कर रहा है और सरकार को जीएसटी में कमी लाकर तथा प्रोत्साहन आधारित कबाड़ नीति लकार उद्योग की मदद करनी चाहिए।’ सायम के नए अध्यक्ष चुने गए आयुकावा ने कहा कि उद्योग में वृद्घि पिछले साल के बेहद कम आधार की वजह से हुई है और इसमें आगे भी तेजी बनी रहेगी, कहना कठिन है।
सरकार वाहनों के कलपुर्जों को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शामिल कर सकती है और वाहन कंपनियों में स्थानीयता और मूल्यवद्र्घन का मूल्यांकन कर सकती है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘वाहन कल-पुर्जों को पीएलआई योजना में शामिल करना एक अच्छी पहल होगी। इससे स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा।’ उन्होंने वाहन क्षेत्र में आयात कम करने और स्थानीय स्तर पर वाहन कल-पुर्जों का उत्पादन बढ़ाने का वादा किया। गोयल ने कहा कि सरकार एक अनुकूल कारोबारी समझौता करने की दिशा में काम कर रही है, जिससे देसी वाहन कंपनियां यूरोपीय देशों को निर्यात बढ़ा पाएंगी। इससे पहले उद्योग जगत के लोगों ने कहा था कि अनुकूल मुक्त कारोबार समझौते (एफटीए) भारत के वाहन एवं कल-पुर्जा निर्यात के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने मांग की थी ऐसे समझौते करते समय सरकार को इस बात को शीर्ष प्राथमिकता देनी चाहिए। गोयल ने कहा, ‘इस संबंध में इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया से बातचीत शुरू भी हो चुकी है।’
भरातीय वाहन विनिर्माता वाहनों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कल-पुर्जों के लिए चीन पर काफी निर्भर हैं। वर्ष 2018-19 में भारत ने 17.6 अरब डॉलर मूल्य के वाहन पुर्जों का आयात किया था, जिनमें चीन से आयात की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत (4.75 अरब डॉलर) थी। चीन से जिन वाहन उपकरणों का आयात होता है, उनमें ड्राइव ट्रांसमिशन एवं स्टीयरिंग कल-पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक एवं बिजली उपकरण, कूलिंग सिस्टम, सस्पेंशन और ब्रेक आदि से जुड़े कल-पुर्जे हैं। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक पवन गोयनका नेक हा कि भारतीय वाहन विनिर्माता अगले चार से पांच वर्षों में इन उपकरणों एवं कल-पुर्जों का आयात घटाकर आधा करना चाहते हैं।