प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
देश में इलेक्ट्रिक ट्रकों का व्यापक इस्तेमाल अगले दो साल में शुरू हो जाने की संभावना है क्योंकि और ज्यादा लॉजिस्टिक कंपनियां प्रायोगिक इस्तेमाल से आगे बढ़कर बड़े स्तर पर इनका इस्तेमाल करने की दिशा में बढ़ रही हैं। बैटरी स्वैपिंग और लंबी दूरी के इस्तेमाल से इसे बढ़ावा मिल रहा है। मोनट्रा इलेक्ट्रिक के वाइस चेयरमैन और मुरुगप्पा समूह के चौथी पीढ़ी के उत्तराधिकारी वेल्लयन सुबैया ने रविवार को नया ट्रक पेश करने के मौके पर बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में यह उम्मीद जताई।
उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्षों के भीतर भारत में लगभग 70 प्रतिशत ट्रक इलेक्ट्रिक हो सकते हैं क्योंकि सरकार देश भर में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की स्थापना को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं के जरिये इस बदलाव को बढ़ावा दे रही है।
सुबैया ने कहा, ‘किसी भी नवीन तकनीक के मामले में एक ऐसा बिंदु होता है जहां इसका इस्तेमाल शुरू करने वाले इसका ट्रायल और टेस्ट करते हैं। फिर इसके इस्तेमाल की दर बढ़ती है और फिर ऐसा महत्त्वपूर्ण मोड़ आता है, जिसे जेफ्री मूर (अमेरिकी लेखक) ने अपनी किताब में ‘क्रॉसिंग द चैज्म’ (खाई पार करना) कहा है। इस अहम मुकाम के बाद हर कोई उस तकनीक को अपनाना शुरू कर देता है। इलेक्ट्रिक ट्रकों के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।’
उन्होंने बताया कि कुछ बड़ी सीमेंट कंपनियों ने पांच इलेक्ट्रिक ट्रक खरीदने से शुरुआत की थी। अब उन्होंने हर रूट के लिए 50 से 100 इलेक्ट्रिक ट्रक खरीदना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘इसका दूसरा चरण शुरू हो गया है। तीसरे चरण की दिशा में कब जाएंगे? यह थोड़ा अनिश्चित है, लेकिन मुझे लगता है कि यह अगले एक-दो साल में होने वाला है। जब इसे व्यापक रूप से अपनाया जाएगा तो आपको प्रमुख राजमार्गों पर बैटरी चार्जिंग का बुनियादी ढांचा मिलने लगेगा।’
अब तक इलेक्ट्रिक ट्रक एक तय स्थान से दूसरी तय जगह के लिए खरीदे गए हैं। सुबैया ने कहा, ‘अब जब हमने (अपने नए ट्रक में) बैटरी स्वैपिंग तकनीक शुरू कर दी है तो मुझे लगता है कि हम अगले बदलाव के लिए तैयार हैं। मुझे वास्तव में लगता है कि एक बार जब हमें यह प्लेटफॉर्म अपनाने वाले लंबी दूरी के लॉजिस्टिक प्रदाता मिलने लगेंगे तो यह बदलाव काफी महत्त्वपूर्ण होगा। और हम इसे होते हुए देख रहे हैं। एक बार ऐसा हो जाए, तो हम मूल रूप से हर साल ऐसे 20,000 से 25,000 से ज्यादा ट्रक बेचेंगे। इसका मतलब यह है कि बाजार का आकार लगभग 20,000 करोड़ रुपये या उससे भी ज्यादा हो जाएगा और मुझे वास्तव में ऐसा होते हुए दिख रहा है।’