टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाली ब्रिटेन की लक्जरी कार विनिर्माता जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) शायद केंद्र सरकार की नई इलेक्ट्रिक विनिर्माण नीति में भागीदारी नहीं करेगी। टाटा मोटर्स के समूह मुख्य वित्त अधिकारी पीबी बालाजी ने आज यह बताया।
कंपनी के वित्तीय नतीजों का ऐलान करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में बालाजी ने कहा कि कंपनी पहले से ही भारत में जेएलआर के कई मॉडलों की असेंबलिंग कर रही है, इसलिए अलग से जिम्मेदारी ओढ़ने की कोई वजह नहीं दिखती। जेएलआर इंडिया ने इस साल भारत में रेंज रोवर और रेंज रोवर स्पोर्ट मॉडल बनाए हैं।
बालाजी ने कहा ‘भारत में कारोबार बहुत अच्छी स्थिति में है, काफी मजबूती से बढ़ रहा है। हमने हाल ही में रेंज रोवर और रेंज रोवर स्पोर्ट का उत्पादन भारत में किया है। उसके लिए हमें ऑर्डर में भारी इजाफा दिख रहा है। इसलिए हम चाहेंगे कि यह बढ़े, हम भारत में उत्पादन जारी रखना चाहेंगे।’
चूंकि बिक्री बढ़ रही है, इसलिए कंपनी जहां तक संभव हो सके अधिक स्थानीय पुर्जों के साथ उत्पादन करना चाहेगी। उन्होंने कहा ‘भारत में अपने कारोबार को देखते हुए हम इस पर पर नजर रखेंगे कि सीकेडी (कंप्लीटली नॉक्ड डाउन यानी टुकड़ों में वाहन लाकर असेंबल करना) कितना आकर्षक विकल्प है।’
उन्होंने कहा कि कंपनी ने ईवी नीति को पूरी तरह खारिज नहीं किया है और बाद में उस पर विचार किया जा सकता है। मगर इस नीति को टाटा मोटर्स के लिए ज्यादा कारगर नहीं बताते हुए बालाजी ने कहा, ‘अगर नीति का फायदा होगा तो हम निश्चित रूप से इस पर विचार करेंगे। इस समय हमारे लिए यह कारगर नहीं है। इसलिए फिलहाल हम उसका फायदा नहीं लेना चाहते।’
केंद्र ने इस साल की शुरुआत में ईवी नीति पेश की थी। इसमें उन इलेक्ट्रिक कारों पर सीमा शुल्क 100 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया, जिनकी लागत, बीमा और ढुलाई का खर्च कुल मिलाकर 35,000 डॉलर या ज्यादा है। मगर यह रियायत उस कंपनी की गाड़ियों पर ही लागू होगी, जो कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करेगी और पांच साल में कम से कम 50 फीसदी स्थानीय पुर्जे आदि इस्तेमाल करने लगेगी।
अलबत्ता टाटा मोटर्स भारत में सीकेडी इकाइयों के उत्पादन का मौका तलाशती रहेगी ताकि उसे 15 फीसदी शुल्क का फायदा मिल सके।
पहली तिमाही के अपने सबसे अच्छे नतीजे दर्ज करने वाली जेएलआर नई इलेक्ट्रिक जगुआर भी तैयार कर रही है। कंपनी ने कहा कि इसके शुरुआती नमूने की रोड टेस्टिंग अच्छी तरह से चल रही है। कंपनी इस साल कर्ज मुक्त होने की राह पर है। उस पर शुद्ध ऋण एक अरब डॉलर और सकल ऋण 4.8 अरब डॉलर बैठता है।