दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार ने कहा है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया विनिर्माता ओकिनावा ऑटोटेक इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिटेड (ओकिनावा) को फेम-2 योजना के उल्लंघन मामले में अंतरिम राहत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि उसने खुद ‘स्वीकार’ किया है कि उसने ‘इस योजना का उल्लंघन किया है।’
अदालत जाने वाली पहली मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) ओकिनावा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर 116 करोड़ रुपये की वसूली के सरकार के निर्देश के खिलाफ रोक के आदेश की मांग की थी, जिसका उसने फेम योजना के तहत प्रोत्साहन के रूप में दावा किया था।
अदालत में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एन वेंकटरमन ने कहा कि याचियों ने खुद कबूल किया है कि याची (ओकिनावा) ने फेम योजना का उल्लंघन किया है और चूंकि उन्होंने कबूल किया है, इसलिए वे अदालत से किसी भी अंतरिम राहत के हकदार नहीं हैं।
एएसजी ने उस दस्तावेज की ओर भी इशारा किया, जो याची द्वारा 23 पुर्जों की सूची प्रदान करते हुए दिया गया है। इसमें ट्रैक्शन बैटरी पैक, डीसी-डीसी कनवर्टर चार्ज, ट्रैक्शन मोटर, व्हील रिम आदि शामिल हैं। एएसजी ने कहा कि यह सूची याचियों द्वारा दी गई है, जिसमें कहा गया है कि ये हिस्से आयात किए गए हैं और इसलिए याचियों का यह रुख कि साल 2021 तक केवल ऑनबोर्ड चार्जर, हब मोटर और मोटर कंट्रोलर ही आयात किए गए थे, सही नहीं है।
ओकिनावा के एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि कंपनी ने सरकार के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें अधिकारियों द्वारा गलत मांग और फेम2 योजना तथा उसके तहत जारी पत्र/अधिसूचनाओं की उनकी व्याख्या का विरोध किया गया है। इस याचिका में फेम2 का प्रोत्साहन भुगतान हासिल करने में 15 महीने से अधिक की देरी के बारे में भी बताया गया है। याचिका पर अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होनी है।