वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि वाहन कलपुर्जा उद्योग को मशीनों का विनिर्माण शुरू करने और विदेशों पर आयात निर्भरता घटाने पर जोर देना चाहिए। गोयल ने भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 कम्पोनेंट्स शो में कहा, ‘हमें अन्य देशों पर क्यों निर्भर रहना चाहिए, खासकर उन देशों पर जिनकी अर्थव्यवस्थाएं बाजार वाली नहीं हैं या जिनके आर्थिक तैर-तरीके पारदर्शी नहीं हैं। हमें अपने उद्योग के लिए आवश्यक उपकरणों, मशीनरी के लिए उन पर क्यों निर्भर रहना चाहिए।’
मंत्री ने कहा कि भारत में कुछ कंपनियां जो अभी भी वाहन कलपुर्जों का आयात कर रही हैं, वे प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएंगी, क्योंकि घरेलू उत्पाद विदेशी उत्पादों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी हैं।
उन्होंने उद्योग से स्विटजरलैंड के साथ भागीदारी पर विचार करने को भी कहा क्योंकि उस देश की विशेषज्ञता मशीनों के निर्माण में है। मंत्री ने कहा, ‘इनमें से कई भारत में निवेश करना चाहती हैं क्योंकि उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तौर पर 100 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई हैं।’
पिछले साल भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत ईएफटीए देशों ने इस समझौते के प्रभावी होने के 10 वर्षों के अंदर 50 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। इसके बाद अगले पांच वर्षों में 50 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश किया जाएगा। इस समूह में आइसलैंड, स्विटजरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं।
मंत्री ने उद्योग से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कलपुर्जों का उत्पादन बढ़ाने को कहा क्योंकि इसमें व्यापक अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह सही समय है कि हम पांच साल की कार्य योजना बनाएं कि किस तरह हम इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ेंगे और वर्ष 2030 तक दुनिया को दिखाएं कि भारत ऐसा देश है जो जब कुछ ठान लेता है तो उसे हासिल करता है।’ उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों से तापमान परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियां दूर होंगी, प्रदूषण घटेगा, आयातित कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता कम होगी।