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क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के 50 साल: भारत में बदलाव और सुधार की कहानी Editorial: बीमा क्षेत्र में 100% FDI से निवेश, प्रतिस्पर्धा और सुशासन को मिलेगा बढ़ावाभारत को मौद्रिक नीति और ‘तीन तरफा दुविधा’ पर गंभीर व खुली बहस की जरूरतCAFE-3 Norms पर ऑटो सेक्टर में बवाल, JSW MG Motor और टाटा मोटर्स ने PMO को लिखा पत्रShare Market: चौथे दिन भी बाजार में गिरावट, सेंसेक्स-निफ्टी सपाट बंदSEBI कानूनों में दशकों बाद बड़ा बदलाव: लोकसभा में पेश हुआ सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025‘नो PUC नो फ्यूल’ नियम से पहले दिल्ली में अफरा-तफरी, 24 घंटे में 31 हजार से ज्यादा PUC सर्टिफिकेट जारीSBI, PNB, केनरा से लेकर IOB तक ने लोन की दरों में कटौती की: आपके लिए इसका क्या मतलब है?Ola-Uber की बढ़ी टेंशन! दिल्ली में लॉन्च हो रही Bharat Taxi, ₹30 में 4 किमी का सफरExplainer: ओमान के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता, अबतक 17 करार; भारत FTA पर क्यों दे रहा है जोर?
लेख

तेज टीकाकरण आवश्यक

महत्त्वपूर्ण नए वृहद-आर्थिक आंकड़े सोमवार को जारी किए गए। ये आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के महामारी से उबरने की पूरी तस्वीर पेश करते हैं और यह भी बताते हैं कि महामारी की हालिया दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था को किस हद तक प्रभावित किया। इनसे यह भी पता चलता है कि सरकार के पास आपात स्थिति से […]

लेख

राजकोषीय टकराव

देश में कोविड-19 संक्रमण के मामले रिकॉर्ड गति से बढ़ रहे हैं और इनके चलते देश के विभिन्न हिस्सों में चिकित्सा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव पड़ रहा है। कई राज्यों ने वायरस का प्रसार रोकने के लिए लोगों के आवागमन पर भी रोक लगाई है। राष्ट्रीय राजधानी में एक सप्ताह का लॉकडाउन […]

लेख

आर्थिक विकास बनाम समृद्धि की राह

यह साफ है कि सरकार कोविड महामारी की वजह से आर्थिक वृद्धि की राह में खड़े हुए संरचनात्मक गतिरोधों को दूर करने के लिए अब तक कोई विश्लेषणात्मक ढांचा पेश कर पाने में नाकाम रही है। विश्लेषकों ने मौजूदा हालात से निपटने को प्रभावी कदम उठा पाने में सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए हैं। […]

कमोडिटी

मांग के कारण बढ़ी तेल की कीमतें इक्विटी बाजार के लिए अच्छी

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भले ही किसी अर्थव्यवस्था की राजकोषीय स्थिति पर दबाव डालती हो, लेकिन मांग/उपभोग में बढ़त के कारण तेल की कीमतों में होने वाला इजाफा इक्विटी बाजार के लिए सकारात्मक होता है। यह कहना है विश्लेषकों का। अपने हालिया नोट में जेफरीज के विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि ब्रेंट क्रूड […]

लेख

बढ़ते राजकोषीय अवरोध

वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट की एक आलोचना यह है कि इसमें कोविड-19 के बाद व्यापक आर्थिक समस्याओं से पार पाने के लिए अपर्याप्त व्यय का प्रावधान किया गया है। चालू वर्ष में व्यय बढऩे की मुख्य वजह सब्सिडी का पारदर्शी लेखांकन है। संशोधित अनुमानों के मुताबिक राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में बढ़कर […]

लेख

बजट में परिवर्तन स्पष्ट लेकिन क्या होगा पर्याप्त?

आर्थिक नीति के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती निजी निवेश में आया धीमापन है। सरकारी बैंकों के निजीकरण और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने के प्रस्ताव इस दिशा में नई प्रतिबद्धता जताते हैं। राजकोषीय पारदर्शिता के क्षेत्र में भी प्रगति हुई है और कल्याणकारी पहलों और कर दरों में इजाफे पर अंकुश लगा […]

कंपनियां

पूंजीगत खर्च-केंद्रित क्षेत्रों के लिए सकारात्मक रहेगा बजट!

बीएस बातचीत बोफा सिक्योरिटीज के इंडिया इक्विटी स्ट्रेटेजिस्ट एवं सह-प्रमुख अमीश शाह ने समी मोडक के साथ साक्षात्कार में कहा कि सरकार बजट में राजकोषीय और मौद्रिक दोनों पर ध्यान देगी। उन्होंने बताया कि पूंजीगत खर्च, बैंक पुनर्पूंजीकरण और पीएसयू पुनर्गठन नीति पर बजट में ध्यान दिए जाने की जरूरत होगी। पेश हैं उनसे हुई […]

लेख

राजकोषीय उत्तरदायित्व का राजनीतिक अर्थशास्त्र

लंबे समय से राजकोषीय विवेक के पक्षधर रहे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) भी अब विस्तारपरक राजकोषीय नीतियों की वकालत करने लगे हैं। कुछ टिप्पणीकार इसे राजकोषीय नियमों एवं राजकोषीय उत्तरदायित्व कानून के खिलाफ पेश एक दलील के रूप में देखते हैं। वे अनजाने में ही बहुपक्षीय संस्थाओं द्वारा विकसित […]

अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था को गति देने का किया आग्रह

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से पहले उद्योग जगत के लोगों से मशविरा शुरू कर दिया है। सोमवार को ऐसी ही एक बैठक हुई, जिसमें उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने फिलहाल राजकोषीय मजबूती के बजाय अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाला बजट तैयार करने का आग्रह किया। इन प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री से वित्त वर्ष […]

लेख

बचाव की प्रार्थना

वित्त मंत्रालय में जल्द ही बजट निर्माण प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस समय राजकोषीय हालात पिछले तीन दशक में सर्वाधिक निराशाजनक स्तर पर हैं और अप्रत्याशित चुनौतियां सामने हैं। बीते दो वर्षों में गैर ऋण राजस्व की वृद्धि दर नॉमिनल जीडीपी (वास्तविक वृद्धि और मुद्रास्फीति) से कमजोर रही। इस वर्ष की नॉमिनल जीडीपी ज्यादा से […]