कोल्लम की एक स्थानीय अदालत ने दो इतालवी रक्षकों की वह याचिका आज खारिज कर दी जिसमें कहा गया था कि पोत इनरिका लेक्सी से गोली चलाकर दो भारतीय मछुआरों की जान लिये जाने के मामले में आरोपपत्र और अन्य दस्तावेजों का उन्हें इतालवी अनुवाद मुहैया कराया जाए।
मामले की सुनवायी करने वाले जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी डी राजन ने इतालवी रक्षकों की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि अपराध दंड प्रक्रिया संहिता मंे ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि आरोपपत्र और दस्तावेजों का अनूदित संस्करण उपलब्ध कराया जाए।
न्यायाधीश ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील मलयालम और अंगे्रजी भाषा अच्छी तरह जानते हैं। अदालत ने इस बारे में इसी तरह की एक याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय का भी उद्धृरण दिया।
न्यायाधीश ने मामले को 25 जुलाई के लिए टाल दिया।
गत महीने इतालवी रक्षकों की ओर से अनूदित संस्करण मुहैया कराने को लेकर याचिका दायर किये जाने के बाद अभियोजन ने अदालत को तीन अनुवादकों की सूची मुहैया करायी थी लेकिन न्यायाधीश ने इस मामले मेें आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सुनवायी के दौरान जहाज के आरोपी रक्षकों लातोर मासिमिलियानो और सल्वातोर गिरोन अदालत में मौजूद थे।
इतालवी जहाज की सुरक्षा के लिए तैनात रक्षकों को 19 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप हैं कि उन्होंने जलेस्टाइन और अजेश बिनकी की गोली मारकर जान ले ली। दोनों मछुआरे नौ अन्य के साथ नाव में समीपवर्ती नीदकारा से समुद्र में उतरे थे।
केरल उच्च न्यायालय ने 30 मई को कड़ी शर्तोें के साथ उन्हें जमानत प्रदान कर दी थी और वे कोच्चि में रह रहे हैं।