अमेरिका में ‘शटडाउन’, 7.5 लाख कर्मचारियों की हो सकती है जबरन छुट्टीPF का किया मिसयूज, तो ब्याज समेत चुकानी होगी रकमSmallcap Stock: 5 साल में 350% से अधिक रिटर्न, कंपनी अब कर रही बड़ी तैयारी, शुक्रवार को फोकस में रहेंगे शेयरनुवामा वेल्थ को म्यूचुअल फंड लॉन्च करने की मिली हरी झंडी, सेबी ने दी मंजूरीOpenAI की वैल्यूएशन हुई $500 अरब, बना दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअपपोर्टफोलियो को चार चांद लगा देगा ये Jewellery Stock! हाई से 42% नीचे, ब्रोकरेज ने कहा- दिवाली से पहले खरीद लेंस्वदेशी और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं: RSS सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवतहिंदुजा ₹1.85 लाख करोड़ संपत्ति के साथ बने दुनिया के सबसे अमीर एनआरआई: M3M हुरुन रिच लिस्टदशहरा पिक 2025: हैवीवेट Defence PSU Stock में दिखा ब्रेकआउट, ब्रोकरेज ने बताया अगला टारगेटElon Musk ने रचा इतिहास, बने दुनिया के पहले 500 अरब डॉलर की नेटवर्थ वाले व्यक्ति
अन्य समाचार चीनी उत्पादन फरवरी तक 20 प्रतिशत बढ़कर 233.77 लाख टन
'

चीनी उत्पादन फरवरी तक 20 प्रतिशत बढ़कर 233.77 लाख टन

PTI

- March,07 2021 5:44 AM IST

तीन मार्च (भाषा) देश में चीनी उत्पादन चाल अक्टूबर-सितंबर 2020-21 वर्ष के पहले पांच महीनों में 20 प्रतिशत बढ़कर 233.77 लाख टन हो गया। गन्ने की पैदावार ऊंची होने से चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी संभव हुई है।

चीनी मिलों के संगठन इस्मा ने बुधवार को मांग की कि मिलों की नकदी की स्थिति में सुधार लाने के लिए चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाया जाए।

भारतीय चीनी-मिल संघ (इस्मा) ने कहा कि गन्ना किसानों को गन्ने का बकाया चुकाने में मिलों की मदद करने के लिए चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) को मौजूदा 31 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 34.5 रुपये प्रति किलोग्राम किया जाना चाहिए।

पिछले वर्ष की इसी अवधि में 194.82 लाख टन के चीनी उत्पादन की तुलना में, वर्ष 2020-21 में फरवरी तक 233.77 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है।

अक्टूबर-फरवरी 2020-21 की अवधि के दौरान, महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन एक वर्ष पूर्व की समान अवधि के 50.70 लाख टन की तुलना में बढ़कर इस बार 84.85 लाख टन हो गया। उत्तर प्रदेश में उत्पादन 76.86 लाख टन की जगह 74.20 लाख टन रहा।

कर्नाटक में फरवरी तक चीनी उत्पादन पिछले साल इसी अवधि के 32.60 लाख टन की तुलना में बढ़कर 40.53 लाख टन रहा।

पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले चीनी की मौजूदा कीमतें लगभग 80-100 रुपये प्रति क्विंटल कम हैं।

इस्मा ने कहा, "चीनी की कम कीमत कोई अच्छा संकेत नहीं है, जो कीमत पिछले कई महीनों से उत्पादन लागत से बहुत कम है और जिसने चीनी मिलों की नकदी की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और गन्ना किसानों को एफआरपी (उचित एवं लाभकारी मूल्य) का भुगतान करने की उनकी क्षमता को प्रभावित किया है।" इस्मा ने आशंका जताई कि अगर ऐसी स्थिति बनी रहती है तो गन्ने की बकाया राशि, बहुत तेजी से असुविधाजनक स्तर तक पहुंच जाएगी।

इस्मा ने चीनी एमएसपी को बढ़ाने की सिफारिश की, जिसे दो साल पहले बढ़ाया गया था जब गन्ने का एचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल था।

निर्यात के संदर्भ में, इस्मा ने कहा कि चीनी मिलों को ट्रकों और कंटेनरों की कमी के साथ-साथ बंदरगाहों पर जहाजों की की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिनके बारे में सरकार और संबंधित अधिकारियों के समक्ष मुद्दा उठाया गया है।

उन्होंने कहा, "हम इन समस्याओं के जल्द समाधान की उम्मीद करते हैं, क्योंकि फरवरी 2021 के अंत तक लगभग 32 लाख टन निर्यात अनुबंध किये गये है।"

केंद्र चीनी निर्यात करने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।

भाषा राजेश राजेश मनोहर

संबंधित पोस्ट