बीते कुछ महीनों को देखें तो कोकिंग कोल की कीमत पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है। यह बढ़कर 300 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है।
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कोयले में बढ़ी कीमत का असर कई स्टील कंपनियों पर भी पड़ा है। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि कीमत बढ़ने की वजह से मार्च 2008 में समाप्त हुई तिमाही में स्टील कंपनियों के मार्जिन पर दबाव पड़ेगा।हालांकि इसके बावजूद भारत सरकार स्टील कंपनियों से कीमतों में कमी लाने के लिए आग्रह कर रही थी।
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लेकिन देश की दिग्गज कंपनियां, उदाहरण के लिए टाटा स्टील और सेल (स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) ने बजाय कीमतों में कटौती करने के, उत्पादों की कीमतें बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दिया ताकि वे बाजार से बेहतर उगाही कर सकें।उदाहरण के तौर पर देखें तो मार्च 2008 की तिमाही में एक अनुमान के मुताबिक सेल ने अपनी कमाई में 28 से 29 फीसदी की वृध्दि दर्ज की।
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निस्संदेह इसके लिए मिश्रित बेहतर उत्पादों को धन्यवाद देना चाहिए और खासकर रेल उत्पादों को, जिसकी वजह से कंपनी को ज्यादा फायदा हुआ है।उल्लेखनीय है कि उस तिमाही के दौरान सेल ने करीब 34.4 करोड़ टन उत्पादन किया था और उस वक्त कंपनी का परिचालन मुनाफा 60 फीसदी ऊपर होना चाहिए था। दिसंबर की तिमाही में कंपनी का परिचालन मार्जिन 31.3 फीसदी था, जो पिछले आठ महीने में सबसे अधिकतम आंकड़ा है।
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एक अनुमान के मुताबिक सेल ने वित्तीय वर्ष 2008 के दौरान अपनी राजस्व राशि करीब 38,000 करोड़ रुपये और शुध्द लाभ 8150 करोड़ रुपये के आसपास दर्ज की थी।बहरहाल अब सेल यह उम्मीद कर रही है कि वित्तीय वर्ष 2009 में उसका राजस्व बढ़कर 44,000 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच जाएगा।
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यही नहीं कंपनी यह भी उम्मीद बांधे हुए है कि मिश्रित उत्पादों में सुधार लाने से उसका शुध्द मुनाफा 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर जाएगी।गौरतलब है कि सेल के शेयरों को उस वक्त सबसे अधिक धक्का लगा था जब निवेशकों ने इस डर से अपने शेयर बेच दिए थे कि सरकार जबरन स्टील की कीमतों में कटौती करेगी।
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जहां सेंसेक्स में इसमें 22 फीसदी की गिरावट देखी गई, वहीं साल 2008 की शुरुआत से अभी तक इसके शेयरों में 42 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2009 में कमाई के लिए 162 रुपये पर 8.25 गुना अधिक कारोबार करने की योजना बनाई है।
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अगर देश की बड़ी स्टील कंपनियों में से एक टाटा स्टील की बात करें तो उसने मार्च 2008 तिमाही में 8 से 10 फीसदी वृध्दि के साथ शुध्द बिक्री की थी। वित्तीय वर्ष 2008 के पहले नौ महीनों में ही टाटा स्टील की बिक्री 11 फीसदी से बढ़कर 13,956 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी।एक बार फिर से कंपनी अधिक मूल्य वाले उत्पादों, उदाहरण के लिए ऑटो-ग्रेड स्टील की ओर ज्यादा ध्यान दे रही है।
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टाटा स्टील यह उम्मीद कर रही है कि उत्पादों में सुधार करने से उसके मुनाफे में 6 से 7 फीसदी की अधिक उगाही की जा सकती है। इस लिहाज से कंपनी के परिचालन मुनाफे में करीब 26 से 28 फीसदी की वृध्दि हो सकती है।वित्तीय वर्ष 2008 के पहले नौ महीनों में टाटा स्टील के परिचालन मुनाफा मार्जिन में 37.2 फीसदी की बढ़ोतरी हई थी। उस वक्त कंपनी 160 आधार अंक ऊपर था।
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हालांकि साल 2008 की शुरुआत में इसके शेयर में 26 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वित्तीय वर्ष 2009 में कंपनी द्वारा अनुमानित है कि वह कमाई के लिए 692 रुपये पर पांच गुना अधिक कारोबार करेगी।यह भी विदित है कि मार्च 2008 तिमाही में सालाना आधार पर एल्यूमिनियम की कीमत 2779 डॉलर प्रति टन पर टिकी हई है थी- उस वक्त जब रुपये में करीब 10 फीसदी की मजबूती बनी हुई थी- हिंडाल्को की बिक्री में करीब 7 फीसदी की बढ़ोतरी होनी चाहिए थी।लेकिन इसके बावजूद हिंडाल्को के परिचालन मुनाफे और निम्न परिचालन मार्जिन में 14 से 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
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वित्तीय वर्ष 2008 के पहले नौ महीनों में परिचालन मुनाफा मार्जिन में 0.30 प्रतिशत से 18.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2008 के अंत में एक अनुमान के मुताबिक हिंडाल्को की शुध्द बिक्री करीब 19,265 करोड़ रुपये की हुई थी।
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पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इसमें सिर्फ 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। जबकि परिचालन मुनाफा 3,559 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 13 फीसदी कम है। हालांकि वित्तीय वर्ष 2009 में कंपनी ने अनुमानित किया है कि वह 20500 करोड़ रुपये की बिक्री और 2,875 करोड़ रुपये शुध्द लाभ दर्ज करेगी।
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