युद्ध से प्रभावित अफगानिस्तान में भले ही लड़ाई जारी है लेकिन अफगानिस्तान को लेकर भारतीय कंपनियों में भी एक नई जंग शुरू हो गई है। दरअसल अफगानिस्तान में लौह अयस्क की सबसे बड़ी खान के अधिग्रहण के लिए पांच भारतीय कंपनियों में होड़ लगी है। अफगानिस्तान सरकार ने इस खान के लिए वेदांत समूह की सेसा गोआ, एस्सार मिनरल्स, इस्पात इंडस्ट्रीज, जेएसडब्ल्यू स्टील और राष्ट्रीय इस्पात निगम जैसी भारतीय कंपनियों के नाम छांटे हैं। अफगानिस्तान सरकार ने हाजीगाक लौह अयस्क भंडार के लिए 1.8 अरब डॉलर से बोली शुरू होगी। इस होड़ में भारतीय कंपनियों को दूसरे कई मुल्कों की कंपनियों से भी जोरदार चुनौती मिलेगी। अफगानी सरकार ने इस लौह अयस्क क्षेत्र के लिए चीनी की एमसीसी और पाकिस्तान की तुवैर्की स्टील मिल्स के नामों की भी छंटनी की है। यह लौह अयस्क क्षेत्र अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 130 किलोमीटर दूर स्थित है। अफगानिस्तान सरकार के खान मंत्रालय ने इसके लिए निविदा प्रक्रिया इस साल अप्रैल से ही शुरू की थी। मंत्रालय दस्तावेजों के मुताबिक इस लौह अयस्क क्षेत्र में उच्च कोटि का लौह अयस्क है जिसमें लोहे की मात्रा 62 फीसदी तक है। साथ ही यह ओपन पिट माइनिंग के अनुकूल भी है। 5 किलोमीटर के दायरे में फैले इस लौह अयस्क क्षेत्र में 16 खदाने हैं जिनकी लंबाई 550 मीटर नीचे तक है। अनुमान के मुताबिक इन खदानों में 10 अरब डॉलर की कीमत का लौह अयस्क मौजूद है। विश्लेषकों का कहना है कि इस क्षेत्र में और भी लौह अयस्क के भंडार हो सकते हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र की राजधानी काबुल से भी ज्यादा दूरी नहीं है। लेकिन इसको लेकर काफी शंकाएं भी उठ रही हैं। एक तो यह काफी दूरदराज वाले और पहाड़ी इलाके हैं। और दूसरी बात यह कि जिस इलाके में यह क्षेत्र स्थित है वह हिंसा से प्रभावित है और अफगान सरकार इस इलाके में पिछले कई सालों से तालिबानियों से संघर्ष में जुटी है। वहीं एक हालिया अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के मुताबिक अफगानिस्तान में पहले लगाए गए अनुमानों से भी ज्यादा खनिज पदार्थ मिल सकते हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक इस देश में करीबन 5 से 6 अरब टन तो अकेले लौह अयस्क के भंडार हो सकते हैं। पिछले साल दो चीनी कंपनियां को काबुल के दक्षिण में स्थित तांबे की खानों को हासिल करने में कामयाब हुई थीं। इन कंपनियों ने तेजी से काम भी आगे बढ़ाया है।
