आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (आई-सेक) आईपीओ और एफपीओ से पैसे जुटाने के मामले में प्राइम डेटाबेस की तालिका में शीर्ष पर रहा है।
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आईपीओ लेन देन में पहले स्थान पर रहने के अतिरिक्त यह मर्चेन्ट बैंकर कई प्राइवेट इक्विटी लेने देन के लिए काम कर रहा है। दलाली व्यवसाय की बात करें तो आई-सेक का इस वर्ष 10 लाख ग्राहकों का लक्ष्य है। वर्तमान में इसके ग्राहकों की संख्या 15 लाख है। इस वर्ष 300 नई शाखाएं खोलने की भी इसकी योजना है।
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ऑनलाइन ट्रेडिंग का परिचालन यह आईसीआईसीआई डायरेक्ट डॉट कॉम के माध्यम से करती है जो देश का सबसे बड़ा ऑनलाइन पोर्टल है। प्रस्तुत है आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एस मुखर्जी से वंदना से हुई बातचीत के कुछ अंश:
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प्राइमरी और सेकंडरी बाजार के बारे में आपकी क्या राय है और आप इसे किस प्रकार देखते हैं? इसे देखने के दो नजरिये हो सकते हैं। चरम पर सोचें तो लग सकता है कि सबकुछ खत्म हो गया है, दूसरा नजरिया इसे विशुध्द रूप से अधोमुखी मानने का है। कुछ खास घटनाएं ऐसी होती हैं जिनसे हम पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते हैं लेकिन दूसरी तरफ सकारात्मक नजरिया भी उतना ही मजबूत है। कुल मिला कर जब बाजार के संदर्भ में अच्छी धारणाएं होती हैं तो बुरी खबरों को हम ज्यादा महत्व नहीं देते हैं।
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लेकिन जब यही प्रभावी होने लगता है तो संभावित बुरी घटनाओं को भी हम बढ़ा-चढ़ा कर देखने लगते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पहले की भांति बाजार में भाग नहीं ले रहे हैं जिसकी वजह अमेरिकी समस्याएं हैं।भारतीय प्ररिप्रेक्ष्य में देखें तो खपत भी पहले की तरह ही बनी हुई है और निवेश की स्थिति भी मजबूत है। कम से कम कोई व्यक्ति निवेश को टाल नहीं रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब पहले वाली बात नहीं रही, अब निवेश ज्यादा सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर किया जा रहा है। महंगाई वर्तमान में शैतान बन बैठा है।
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सरकार इस बात को लेकर गंभीर है और मेरा खयाल है कि आपूर्ति की तरफ जल्दी ही कोई वास्तविक कदम उठाया जाएगा। यह केवल रूझान के परिवर्तन की बात है। एक बार अगर सकारात्मक धारणा बन जाती है तो सबकुछ सामान्य हो जाएगा।
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क्या आपको ऐसा लगता है जैसे हर चीज पर एक विराम लग गया हो?
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हम यह नहीं कह सकते कि चीजों में ठहराव आ गया है लेकिन इन बाजारों में कोई बड़े इश्यू लॉन्च करने की बात नहीं कर रहा है।
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प्रवर्तकों को कहीं न कहीं समझौता करना होगा। प्राईवेट इक्विटी का व्यवसाय काफी सक्रिय हो गया है। लोगों को अब एहसास हो गया है कि यही वे लोग हैं जिनके पास पैसे हैं। जहां तक वैल्यूएशन की बात है, प्राइवेट इक्विटी इस मामले में काफी आक्रामक हैं।
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सार्वजनिक बाजार में तेजी के दिनों में कोई व्यक्ति इससे बाहर जा सकता है लेकिन प्राइवेट इक्विटी कंपनियां इस मामले में काफी सोच विचार कर कदम उठाती हैं। किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले वे आवश्यक शोध करते हैं। कई कंपनियां जिन्होंनें पहले सार्वजनिक बाजार में उतरने की बात सोची थी, वास्तव में अब प्राइवेट इक्विटी कंपनियों का रुख कर रही हैं। यह बात नहीं है कि आप बाजार में अपना निर्गम नहीं बेच सकते हैं।
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यहां सवाल केवल अपेक्षाओं और अभिदानों का है। संपूर्ण पावर सेक्टर टकटकी लगाए हुए है। आज के दौर में लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए इश्यू के एक निश्चित आकार का होना चाहिए।ऋण संकट अभी समाप्त होने वाला नहीं लगता है।
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आपके अनुसार भारतीय बाजार पर किस हद तक इसका प्रभाव हो सकता है?
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इससे भारतीय बाजार में विदेशी प्रतिभागियों के क्रियाकलापों पर प्रभाव पड़ सकता है। आज भारतीय बाजारों को एफआईआई दिशा देते हैं और वे अभी आ नहीं रहे। अमेरिका इस समस्या को सुलझाएगा और एक बार जब लोगों को यह विश्वास होने लगेगा कि बुरा वक्त टल चुका है तो सबकुछ सामान्य हो जाएगा।
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म्युचुअल फंडों और बीमा कंपनियों से काफी धन आ रहा है लेकिन एफआईआई बाजार का रुख बनाते हैं। वे निश्चयात्मक नेतृत्व लेकर आते हैं।
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पिछले वर्ष लॉन्च किया गया आपका विदेशी कारोबारी प्लेटफॉर्म कैसा चल रहा है?
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जनवरी तक भारतीय बाजार में इतनी तेजी थी कि अमेरिकी निवेशकों का ध्यान भी इधर ही था। यह एक ऐसा अतिरिक्त उत्पाद है जो हर किसी के भी पास होना चाहिए।
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वास्तविकता यह है कि लोगों के पास अमेरिकी स्टॉक के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। इसलिए हम अपनी वेबसाइट पर इससे संबंधी विभिन्न जानकारियां दे रहे हैं। इसमें कुछ सक्रिय कारोबारी और धनाढय वर्ग के लोग हैं। कुछेक खुदरा निवेशक भी इसमें शामिल होंगे।
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जब तक भारतीय रिजर्व बैंक आपको प्रति वर्ष दो लाख डॉलर विदेश में निवेश करने की अनुमति देता है तब तक यह कोई अवरोध नहीं है। लेकिन अब रिस्पॉन्स बढ़ रहा है और हम भी सीख रहे हैं।
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शेयर बाजार में कारोबारी संख्या में आई गिरावट का आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज पर क्या प्रभाव पड़ा है?
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मैं यह कहूंगा कि अन्य की तुलना में हम पर इसका प्रभाव काफी कम पड़ा है। अगर आप कारोबारी संख्या में आई गिरावट को देखें तो हमारे मामले में यह उतना अधिक नहीं मिलेगा क्योंकि हमारा संस्थागत व्यवसाय काफी मजबूत है और अभी भी ऋण चुकाने के काबिल हैं। धनाढयों वाली बात नहीं है जो अपनी उपस्थिति का फायदा उठाते हैं और जिन्हें मार्जिन कॉल मिल रहे हैं। इस प्रकार हमने अपना जोखिम कम किया है। अपने आईपीओ के बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे?बोर्ड के निर्णय के बाद इरादा वैसा ही बना हुआ है। हम आईपीओ के बारे में अभी बातचीत कर रहे हैं। हम उपयुक्त समय का इंतजार कर रहे हैं।
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