चुनाव आयोग ने मंगलवार को 86 राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया और 253 दलों को निष्क्रिय घोषित कर दिया। देश में पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों की समस्या है। ऐसे दलों की संख्या आने वाले तीन सालों में और बढ़ जाएगी। हालांकि बीते चार महीनों के दौरान ही 68 राजनीतिक दलों ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। ब़िज़नेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण के मुताबिक 2017 से 2021 के बीच पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों की संख्या में तकरीबन 1,000 का इजाफा हुआ। इस अवधि में ऐसे दलों की संख्या 1,983 से बढ़कर 2,796 हो गई। साल 2011 में पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों की संख्या 1,308 थी। साल 2011 की तुलना में 2021 में पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों की संख्या तकरीबन दोगुना हो गई। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स के प्रमुख अनिल वर्मा (सेवानिवृत्त) ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड योजना अपनाए जाने के बाद राजनीतिक दलों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है।’ ऐसे में समस्या यह नहीं है कि ज्यादा राजनीतिक दल एक राजनीतिक इकाई के रूप में अपना पंजीकरण करा रहे हैं बल्कि वे नियमों का कम पालन करते हैं। जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के अंतर्गत किसी दल को ‘निष्क्रिय’ तब घोषित किया जाता है जब वे भेजे गए किसी पत्र/चालान का जवाब नहीं देते हैं या वे राज्य की विधानसभा या लोकसभा के चुनावों में से किसी एक का भी चुनाव छह साल तक नहीं लड़ते हैं। ऐसा नहीं है कि भारत के मुख्य चुनाव आयोग ने नियमों का पालन नहीं करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ पहली बार कदम उठाया है, आयोग ने साल 2016 में 255 दलों को सूची से बाहर करके उन्हें ’अस्तित्वविहीन’ बना दिया था। मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) वर्मा ने कहा, ‘मार्च, 2021 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2,700 गैरमान्यता प्राप्त दलों में से केवल 43 फीसदी ने ही राज्य विधानसभा चुनावों/आम चुनावों में हिस्सा लिया। बाकी राजनीतिक दलों ने करों में 100 फीसदी छूट का फायदा लिया। ऐसे दलों ने शायद कालेधन को सफेद किया। वे अन्य राष्ट्रीय दलों/राज्य स्तर के दलों के लिए एक मोर्चा की काम कर सकते हैं।’ हालांकि पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों के चंदे और धन जुटाने का नवीनतम आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों ने 2017-18 में 24.6 करोड़ रुपये जुटाए थे और 2018-19 में 65.5 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस अवधि में इन दलों ने तीन गुना अधिक राशि जुटाई। दरअसल इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की अधिसूचना जनवरी 2018 में जारी हुई थी। साल 2011 की तुलना में पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों की संख्या में 113.7 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। आम लोगों के स्तर पर इन दलों के चंदे और कोष जुटाने की गतिविधियों के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है। पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों का छोटा सा हिस्सा अपनी आय और लेखा-जोखा की रिपोर्ट दाखिल करता है।
