सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वित्तीय समावेशन के अभियान को रफ्तार देने के लिए दिसंबर, 2022 तक पूरे देश में 316 बैंक शाखाएं खोलने का लक्ष्य रखा है। इनमें से हरेक शाखा 5 किलोमीटर के दायरे में 3,000 से अधिक आबादी वाले सभी गांवों को सेवा देगी। इन शाखाओं के दायरे में 21 राज्यों के गांव आएंगे और ये राज्य स्तरीय बैंकिंग समिति (एसएलबीसी) द्वारा आवंटित स्थानों पर खोली जाएंगी। एसएलबीसी राज्यों में बैंकिंग नीतियों के समन्वय और क्रियान्वयन के लिए संस्थागत मंच है, जिसमें बैंकों, भारतीय रिजर्व बैंक और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के प्रतिनिधि तथा सरकारी विभागों के प्रमुख शामिल होते हैं। इसके अलावा 3,000 से अधिक आबादी वाले गांवों में करीब 47 शाखाएं निजी क्षेत्र के बैंक खोलेंगे। शाखाएं खोलने में सरकारी बैंकों की प्रगति की समीक्षा वित्त मंत्रालय ने 30 अगस्त को की थी। सबसे अधिक 95 शाखाएं राजस्थान में खुलेंगी, जिनमें 80 सरकारी बैंकों की और 15 निजी बैंकों की होंगी। इसके बाद मध्य प्रदेश में 54 और गुजरात में 39 शाखाएं खोली जाएंगी। सबसे अधिक 76 शाखाएं बैंक ऑफ बड़ौदा खोलेगा, जो 10 राज्यों में खुलेंगी। भारतीय स्टेट बैंक 14 राज्यों में 60 और पंजाब नैशनल बैंक 10 राज्यों में 41 शाखाएं खोलने जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक की लीड बैंक योजना के अनुसार बैंकों से चालू वित्त वर्ष में 5,000 से अधिक आबादी वाले ऐसे गांवों में शाखाएं खोलने के लिए कहा गया है, जहां किसी भी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की शाखा नहीं है। आरबीआई ने लीड बैंक योजना 1969 में शुरू की थी, जिसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास में बैंकों की भूमिका बढ़ाने के लिए बैंकों और अन्य विभागीय एजेंसियों के साथ समन्वय करना था। मगर केंद्र सरकार 3,000 से अधिक आबादी वाले हरेक गांव को 5 किलोमीटर के भीतर बैंक शाखा देना चाहती है। यह प्रयास सफल हुआ तो 17 राज्यों में केवल 143 गांव ऐसे रह जाएंगे, जिनके 5 किलोमीटर के दायरे में कोई बैंक शाखा नहीं होगी। पिछले साल आरबीआई ने कंपोजिट वित्तीय समावेश सूचकांक शुरू किया था, जिससे पता लगाना था कि देश में वित्तीय समावेश कहां तक पहुंच गया है। साथ ही यह सूचकांक अधिक वित्तीय समावेश के लिए भविष्य की नीति बनाने में भी मदद करेगा। 31 मार्च, 2022 तक वित्तीय समावेश के लिहाज से सेवा का उपयोग, गुणवत्ता आदि सुधरकर 56.4 पर पहुंच गया था, जो पिछले साल 53.9 पर था। वित्तीय समावेश के आरबीआई की राष्ट्रीय नीति के अनुसार 2019 से 2024 के बीच वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने की कार्य योजना और उपलब्धियों का खाका पेश किया गया है। इसके तहत वित्त वर्ष 2022 में पहाड़ी इलाकों में 5 किलोमीटर के दायरे में 500 परिवारों वाले प्रत्येक गांव में बैंक शाखा की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी थी।
