आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण गेहूं के बाद अब देश में चावल की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। पूरे देश में चावल की औसत खुदरा कीमत पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 6.31 प्रतिशत की तेजी के साथ 37.7 रुपये प्रति किलो हो गई है। एक सरकारी आंकड़े से यह जानकारी मिली है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 22 अगस्त को करीब 22 प्रतिशत बढ़कर 31.04 रुपये प्रति किलो हो गया जो पिछले साल की समान अवधि में 25.41 रुपये प्रति किलो था। आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं आटा का औसत खुदरा मूल्य 17 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 35.17 रुपये प्रति किलो हो गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 30.04 रुपये प्रति किलो था। चावल की खुदरा कीमत में बढ़ोतरी का कारण चालू खरीफ सत्र में पिछले सप्ताह तक धान बुवाई 8.25 प्रतिशत कम रहने तथा देश के उत्पादन में संभावित गिरावट की खबर है। विशेषज्ञों ने कहा कि धान बुवाई के रकबे में मौजूदा कमी पर गौर करते हुए देश का कुल चावल उत्पादन खरीफ सत्र 2022-23 (जुलाई-जून) के लिए 11.2 करोड़ टन के निर्धारित लक्ष्य से कम रहने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘‘फिर भी, चावल की खुदरा कीमतों में वृद्धि गेहूं जितना नहीं है क्योंकि केंद्र के पास 396 लाख टन का एक विशाल भंडार पड़ा है और कीमतों में तेज वृद्धि के समय स्थितियों में हस्तक्षेप के लिए इस भंडार का उपयोग कर सकता है।’’ गेहूं के मामले में, फसल वर्ष 2021-22 में घरेलू उत्पादन में लगभग तीन प्रतिशत की कमी होने के कारण थोक और खुदरा बाजार दोनों में इसकी कीमतें दबाव में आ गई हैं। लू चलने के कारण गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब और हरियाणा जैसे उत्तरी राज्यों में अनाज सिकुड़ गये थे। इस बीच, उद्योग निकाय, रोलर आटा मिलर्स फेडरेशन ने पिछले कुछ दिनों के दौरान गेहूं की अनुपलब्धता और कीमत में भारी वृद्धि के बारे में चिंता जताई है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, धान को इस खरीफ सत्र के 18 अगस्त तक 343.70 लाख हेक्टेयर रकबे में बोया गया है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 374.63 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की गई थी। मानसूनी वर्षा में कमी के कारण झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कुछ अन्य राज्यों में खेती का रकबा कम होने की सूचना दी गई है। धान मुख्य खरीफ फसल है, जिसकी बुवाई जून में दक्षिण -पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है। देश के कुल चावल का उत्पादन का 80 प्रतिशत खरीफ मौसम से प्राप्त होता है।
