स्थानीय निकाय सुधार पर खास ध्यान | |
अरूप रॉयचौधरी और संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली 08 06, 2022 | | | | |
नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक नई दिल्ली में रविवार को होने जा रही है। बैठक के एजेंडे में स्थानीय स्तर पर कर ढांचे पर विशेष ध्यान के साथ शहरी प्रशासन, तिलहन व दलहन के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए फसलों के विविधीकरण और राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसे कुछ प्रमुख मसले शामिल हैं।
जुलाई 2019 के बाद से एक साझा प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच पहली बार आमने सामने बैठक होने जा रही है। संचालन परिषद की पिछली बैठक फरवरी 2021 में हुई थी, को कोविड-19 की वजह से वर्चुअल कराई गई थी।
प्रधानमंत्री कार्यालय के एक आधिकारिक बयान में शुक्रवार को कहा गया, ‘बैठक के एजेंडे में फसलों का विविधीकरण और तिलहन, दलहन और कृषि जिंसों के मामले में आत्मनिर्भरता, स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करना, उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करना और शहरी प्रशासन शामिल है।’
सूत्रों के मुताबिक शहरी प्रशासन की चर्चा में कर सुधार पर बात हो सकती है, जिससे शहरी स्थानीय निकायों जैसे नगर निगमों और परिषदों को राजस्व सृजन की शक्तियां मिल सकें और उन्हें वित्तीय रूप से और स्वायत्त बनाया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, वह शहरी स्थानीय निकायों के राजस्व संग्रह में सुधार करने के मजबूत हिमायती थे। एक अधिकारी ने कहा, ‘सुधार और शहरी स्थानीय निकाय की वित्तीय सेहत के मसले पर कुछ आ सहमति बनाने की दिशा में काम करने पर बात होगी।’
उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री कृषि एवं इससे संबंधित विषयों पर भी उल्लेखनीय वक्त देंगे, जिसमें कुछ खाद्य वस्तुओं की आयात पर निर्भरता कम किया जाना शामिल है।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा में इसे लागू करने को लेकर भी अलग से चर्चा हो सकती है। एनईपी की सफलता राज्यों के सहयोग और उनकी सक्रिय भागीदारी पर निर्भर है क्योंकि शिक्षा व्यापक रूप से राज्य सरकारों के अधीन है।
साथ ही तमिलनाडु जैसे राज्य में एनईपी एक विवादास्पद मुद्दा रही है। उनका कहना है कि उनकी शिक्षा व्यवस्था और मानक एनईपी में उल्लिखित जरूरी मानदंडों से आगे है। साथ ही यह भी विचार है कि शिक्षा का 5+3+3+4 तरीका राज्य की शिक्षा व्यवस्था में व्यवधान डालेगा।
फसलों के विविधीकरण में भी राज्यों की भूमिका अहम है, क्योंकि कृषि राज्य का विषय है। इसमें भी इस बात पर जोर होगा कि अनाज उगाने वाले राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और अन्य गेहूं और चावल से अपनी फसलों का विविधीकरण करें और ज्यादा लुभावनी और मांग वाली फसलों जैसे दलहन और तिलहन का उत्पादन करें।
इसके पहले पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (जहां गन्ना ज्यादा पानी खपत वाली प्रमुख खेती है) में गेहूं और चावल की फसलों से विविधीकरण के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के उचित परिणाम नहीं मिल सके, क्योंकि इसके लिए केंद्र व राज्यों की मिली जुली संस्थागत समर्थन व्यवस्था नहीं बन पाई।
सूत्रों ने कहा कि संचालन परिषद इस तरह की व्यवस्था बनाने पर चर्चा कर सकती है।
यह बैठक राष्ट्रपति भवन कल्चर सेंटर, नई दिल्ली में होगी। केंद्र सरकार की प्रमुख आलोचक और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व पहले की बैठकों में शामिल न होने वाले कुछ अन्य मुख्यमंत्री भी इसमें उपस्थित रहेंगे। बयान में कहा गया है कि इस बैठक में भारत की जी-20 की अध्यक्षता के महत्त्व पर भी चर्चा होगी, जिसमें राज्य सरकारें भी अपनी प्रगति की चर्चा कर सकती हैं।
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