लगातार 23वें महीने में भारतीय रेलवे ने माह विशेष की लोडिंग में वृद्धि दर्ज की है। जुलाई महीने में नैशनल ट्रांसपोर्टर ने 1221.4 लाख टन माल ढुलाई की है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 8.25 प्रतिशत ज्यादा है। हालांकि जून की तुलना में मात्रा के हिसाब से ढुलाई 30 लाख टन कम हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी के महीनों की तेज मांग की तुलना में आर्थिक गतिविधियां सुस्त रहने के कारण ऐसा हुआ है।पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 93 लाख टन वृद्धि में करीब एक चौथाई बढ़ोतरी कोयले की आपूर्ति में हुई है, जिसे रेलवे ने हाल के कोयला संकट को देखते हुए शीर्ष प्राथमिकता पर रखा है। हालांकि रेलवे की माल ढुलाई में दूसरे स्थान पर स्थित लौह अयस्क की ढुलाई में इस वित्त वर्ष में लगातार चौथे महीने में वृद्धि नहीं हुई है।रेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, ‘भारतीय रेलवे की कोयले की ढुलाई 115.4 लाख टन बढ़ी है। उसके बाद अन्य वस्तुओं की ढुलाई 12.2 लाख टन, सीमेंट व क्लिंकर व कंटेनर की ढुलाई 5.6 लाख टन, पीओएल (पेट्रोलियम उत्पाद) की ढुलाई 4.7 लाख टन बढ़ी है।’रेलवे के कोयले की ढुलाई में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी थर्मल कोल की रही है। मंत्रालय ने कहा कि ताप बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की लोडिंग (घरेलू व आयातित दोनों) जुलाई महीने में 13.2 प्रतिशत बढ़ी है। बिजली केंद्रों पर 479.8 लाख टन कोयला पहुंचाया गया, जबकि पिछले साल 347.4 लाख टन पहुंचाया गया था और इसमें 38 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। जुलाई में ढुलाई की मात्रा में वृद्धि के साथ रेलवे की इस वित्त वर्ष में ढुलाई कुल करीब 11 प्रतिशत बढ़ी है। मंत्रालय ने साल के लिए आंतरिक लक्ष्य 17,000 लाख टन रखा है, जो 2021-22 में हुई ढुलाई की तुलना में मोटे तौर पर 20 प्रतिशत ज्यादा है।
