बजट में कर पुनराकलन व्यवस्था में किए गए बदलावों के बारे में कर सलाहकारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट के फोन की घंटियां लगातार घन-घना रही हैं। कॉरपोरेट और व्यक्तिगत दोनों तरह के करदाता इसमें आए बदलावों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। कर विशेषज्ञों को लगता है कि संशोधन के बारे में कर विभाग को ज्यादा नोटिस भेजने पड़ सकते हैं। कर व्यवस्था के नए प्रावधान 1 अप्रैल से प्रभावी हैं और इसमें कर अधिकारियों को पुराने आकलन को फिर से खोलने का अधिकार दिया गया है। पहले कर विभाग केवल उन्हीं करदाताओं से जवाब-तलब कर सकता था जो अपनी आय कम दिखाते थे या सही जानकारी नहीं देते थे। नई व्यवस्था के तहत विभाग इसके साक्ष्य जुटाएगा कि करदाता ने ऐसा कोई बड़ा खर्च तो नहीं किया है, जिसे रिटर्न में नहीं दिखा गया है। अगर ऐसा होता हे तो कर विभाग उन्हें नोटिस भेजकर इसकी जानकारी मांग सकता है और पुराने आकलन रिटर्न को दोबारा खोल सकता है। इसमें बड़े आयोजनों पर खर्च किए गए पैसे आदि शामिल हैं। इसके साथ ही अगर खाते में कोई ऐसी एंट्री है, जिसकी जानकारी नहीं दी गई है तो करदाता का पुनराकलन किया जा सकता है। उदाहरण के लिए ऋण लिया गया लेकिन काफी कम समय में उसका भुगतान कर दिया गया। इस नए प्रावधान को वित्त विधेयक 2022 में शामिल किया गया है। अगर 50 लाख रुपये से अधिक की आय या खर्च को कर आकलन में नहीं दिखाया गया हो तो कर विभाग 10 साल पुराने तक के मामले की जांच कर सकता है। यह कंपनी और व्यक्तिगत करदाता दोनों पर लागू होगा। एक कर सलाहकार ने कहा, 'कर जांच का दायरा संपत्ति से आय से बढ़कर अब खर्च और खाते में एंट्री तक पहुंच गया है। इस बदलाव से कई कर आकलन को नए सिरे से खोला जा सकता है।' नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा, 'पुनराकलन और तलाशी कार्यवाही उसके अनुरूप होगी। ऐसे में पुराने कर आकलन स्वत: खोले जा सकते हैं और ऐसे मामलों की जांच की जा सकती है। इसके लिए आकलन अधिकारी को चौथे से दसवें साल के दौरान 50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति, एंट्री या व्यय का पता लगाना होगा।' नए प्रावधान के तहत आईटी विभाग केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के जोखिम प्रबंधन के आंकड़ों और नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक की आपत्ति के अलावा कर आकलन को खोलने के लिए कई स्रोतों से जानकारी जुटा सकता है। पहले केवल इन दो स्रोतों के आधार पर ही विभाग कर आकलन रिपोर्ट को खोल सकता था। लेकिन अब आय और व्यय के मामले में किसी भी ऑडिट, विदेशी कर प्राधिकरणों, अदालत, पंचाट आदि के आदेश/आपत्तियों के आधार पर विभाग ऐसा कर सकता है।
