'सभी के लिए मुफ्त' टीकाकरण की नीति से देश भर में टीकाकरण की दर में बदलाव आ गया है। न केवल टीकाकरण की रफ्तार ही बढ़ी है, बल्कि तब से टीकों का वितरण भी कुछ अधिक न्यायसंगत हुआ है। हालांकि देश में 21 जून तक केवल 28.4 करोड़ टीके ही लगाए गए थे, लेकिन तब से टीकाकरण में 54.5 करोड़ लोगों को पहली खुराक और 16.8 करोड़ लोगों को दूसरी खुराक मिल चुकी है। कुल मिलाकर देश भर में 71.3 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। सरकार ने 27 अगस्त को प्रतिदिन एक करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा पार कर लिया था और प्रतिदिन औसतन 70.4 लाख टीके लगाए गए, जबकि 21 जून तक सात दिन का औसत 34.8 लाख टीके था। बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि 21 जून से ग्रामीण जिलों में टीकाकरण 2.5 गुना बढ़ चुका है। तब तक देश के ग्रामीण जिलों (शहरी इलाकों में रह रही 20 प्रतिशत से कम आबादी वाले) में प्रति 100 व्यक्तियों पर 16.9 खुराक दी गई थी। दी जाने वाली खुराक का यह अनुपात 28 अगस्त को 41.6 था। अर्ध-शहरी जिलों में इसमें 2.4 गुना इजाफा हुआ था और यह अनुपात प्रति 100 व्यक्तियों पर 19.6 खुराक से बढ़कर 46.3 खुराक तक पहुंच गया। दूसरी ओर, 2.1 गुना वृद्धि दर के साथ शहरी केंद्रों में यह इजाफा अपेक्षाकृत धीमा रहा और यह अनुपात प्रति व्यक्ति 27.6 खुराक से बढ़कर 59.1 खुराक रहा। जहां एक ओर ग्रामीण जिले 21 जून से अधिक खुराकों का वितरण कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण और शहरी केंद्रों के बीच अब भी काफी अंतर है। लगाई गई कुल खुराकों में शहरी जिलों की हिस्सेदारी अब भी 46.1 प्रतिशत है। हालांकि यह अनुपात 49 प्रतिशत से कम हुआ है, लेकिन 21 जुलाई से ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि भी इसी के अनुरूप केवल 2.3 प्रतिशत ही रही है। अर्ध-शहरी केंद्रों (शहरी क्षेत्रों में रह रही 20 से 30 प्रतिशत आबादी वाले) में आवंटन में केवल 0.5 प्रतिशत का ही इजाफा देखा गया है।दैनिक खुराकों के लिहाज से टीकों की आवंटित खुराकों में शहरी जिलों की हिस्सेदारी अब भी दो-तिहाई से अधिक है। अर्ध-शहरी केंद्रों में 20 प्रतिशत टीके लगाए गए हैं, जबकि कुल आवंटन में ग्रामीण क्षेत्रों की हिस्सेदारी एक-तिहाई है। वर्ष 2021 की जनगणना के अनुसार शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण जिलों की आबादी की हिस्सेदारी क्रमश: 38.2 प्रतिशत, 20.1 प्रतिशत और 41.7 प्रतिशत है। इसलिए टीकाकरण को और अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों को कम से कम 41.7 प्रतिशत खुराक हासिल होनी चाहिए। लेकिन अब तक उन्हें केवल 35.1 प्रतिशत खुराक ही मिली है। टीके की खुराक देने के मामले में राज्यों के हिसाब से भी खासा फर्क है। उदाहरण के लिए ओडिशा में 71 प्रतिशत आबादी ग्रामीण जिलों में रहती है, लेकिन इन जिलों में टीके की केवल 61 प्रतिशत खुराक ही दी गई है। हरियाणा में दी गई खुराक और आबादी के बीच 7.2 प्रतिशत का अंतर है। हालांकि इसकी 18.1 प्रतिशत आबादी ग्रामीण जिलों में रहती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कुल खुराक का केवल 10.9 प्रतिशत ही लगाया गया है। पश्चिम बंगाल में यह अंतर 7.1 प्रतिशत है, मध्य प्रदेश में यह 5.7 प्रतिशत और बिहार में 5.2 प्रतिशत है। कर्नाटक में यह अंतर केवल एक प्रतिशत और महाराष्ट्र में 1.6 प्रतिशत ही है। ग्रामीण जिलों में ज्यादा खुराकें दी जाने की वजह से केरल, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने बेहतर प्रदर्शन किया है। केरल में स्थिति उलट है। यहां ग्रामीण जिलों को कुल आबादी में अपनी हिस्सेदारी के मुकाबले 2.3 प्रतिशत अधिक खुराकें प्राप्त हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के पक्ष में 4.8 प्रतिशत के अंतर के साथ छत्तीसगढ़ और भी बेहतर स्थिति में है तथा ग्रामीण जिलों के पक्ष में 10 प्रतिशत अंतर के साथ उत्तराखंड सभी राज्यों में सबसे ऊपर आता है।
