उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के व्यापक असर तथा हाहाकार के बाद सरकार ने संभावित तीसरी लहर के लिए युद्घस्तर पर तैयारी शुरू कर दी हैं। पिछले चार महीने से प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार घट रहे हैं और अब दो-तिहाई से ज्यादा जिले इससे पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मामले भी घटकर 200 से नीचे चले गए हैं।
ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि 9 सितंबर तक प्रदेश के 33 जिलों में कोविड का कोई भी सक्रिय मरीज नहीं है। साथ ही प्रदेश के 66 जिलों में तो संक्रमण का एक भी ताजा मामला नहीं मिला। उत्तर प्रदेश में अभी कोविड की कुल 7.43 करोड़ जांच हो चुकी हैं। टीकाकरण के मामले में भी प्रदेश बहुत आगे है और अब तक कम से कम 8 करोड़ लोगों को पहली खुराक लग चुकी हैं। टीके की अर्हता रखने वाली कुल आबादी का 45 फीसदी हिस्सा टीका पा चुका है।
इसके बाद भी तीसरी लहर के लिए तैयारी में ढील नहीं दी जा रही है। चूंकि इसमें बच्चों को लिए ज्यादा खतरा बताया जा रहा है, इसलिए उनके वास्ते स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। प्रदेश के अस्पतालों में बच्चों के लिए 9,000 से अधिक पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) बेड तैयार हो चुके हैं। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में 6,700 से अधिक पीकू या आइसोलेशन बेड और स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में 3,000 से अधिक नियोनेटल आईसीयू (नीकू) बेड बना दिए गए हैं। अचानक आई दूसरी लहर में गड़बड़ाई व्यवस्था से सीख लेकर प्रदेश में तीसरी लहर के लिए 73,000 से अधिक कोरोना बेड मुहैया करा दिए गए हैं। इनमें 17,210 बेड आईसीयू सुविधा युक्त हैं। प्रदेश सरकार सभी जिलों में कम से कम 100 बिस्तरों की क्षमता वाले चिकित्सा आईसीयू वार्ड बना रही है।
प्रशिक्षण-जांच पर जोर
दूसरी लहर के दौरान प्रदेश में अस्पतालों, नर्सिंग होम की कमी तथा प्रशिक्षित कर्मियों की किल्लत दिखी थी। तीसरी लहर से पहले डॉक्टरों तथा चिकित्सा कर्मियों को तीसरी लहर के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। 5,000 से अधिक डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही 8,700 से अध्ािक चिकित्सा कर्मियों तथा नर्सों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी तरह जांच पर जोर देते हुए हर जिले में एंटीजन, आरटी-पीसीआर तथा ट्रू नेट जांच सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। वेंटिलेटर, पल्स ऑक्सीमीटर और पीपीई किट की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा रही है।
ऑक्सीजन के 555 संयंत्र
कोविड की दूसरी लहर में ऑक्सीजन सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी थी। आगे उसकी कमी नहीं हो, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में ऑक्सीजन के कुल 555 संयंत्र लगाए जाने थे, जिनमें से 395 संयंत्र काम शुरू कर चुके हैं। हर बड़े अस्पताल ने अपना ऑक्सीजन संयंत्र लगा लिया है। प्रदेश में सीएसआर कोष में गई रकम का इस्तेमाल सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) पश्चिम से लेकर पूर्व तक के जिलों के लिए ऑक्सीजन ग्रिड तैयार कर रहा है। इसके तहत प्रदेश भर में मौजूद औद्योगिक क्षेत्रों में ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयां लग रही हैं। ग्रेटर नोएडा, सहारनपुर, शाहजहांपुर, बरेली, मथुरा, कानपुर नगर व देहात, रायबरेली, हरदोई, बस्ती, सुल्तानपुर, अमेठी, गोरखपुर, मऊ, वाराणसी और प्रयागराज में 19 कंपनियों ने ऑक्सीजन उत्पादन इकाई लगाने का प्रस्ताव किया है। है। यूपीसीडा के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में लगने वाली इन इकाइयों में 503 करोड़ रुपये के निवेश के साथ प्रतिदिन 770 टन ऑक्सीजन व नाइट्रोजन उत्पादन हो सकेगा।
बच्चों के लिए मुस्तैदी
तीसरी लहर और बच्चों को लेकर जाहिर की जा रही तमाम आशंकाओं के कारण प्रदेश में कोरोना जैसे लक्षणों वाले बच्चों और बड़ों को मुफ्ते दवाओं की किट दी जा रही है। अब तक 50 लाख से अधिक बच्चों को यह किट दे दी गई है। साथ ही 18 साल से कम आयु के लक्षण युक्त बच्चों को 4 वर्गों - 0 से 1 साल, 1 से 5 साल, 5 से 12 साल और 12 से 18 साल में बांटकर अलग-अलग किट दी जा रही हैं। वयस्कों को भी 71 लाख किट मुफ्त दी जा रही हैं।
टीकाकरण में अव्वल
उत्तर प्रदेश में कोविड टीकाकरण शुरू में सुस्त था मगर अब सबसे अधिक टीके इसी प्रदेश में लगे हैं। प्रदेश में रोजाना रिकॉर्ड संख्या में टीके लगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जांच और टीकाकरण में उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे आगे है। 8 सितंबर को ही प्रदेश में 14.51 लाख से अधिक लोगों को टीके लगाए गए थे। प्रदेश में 8.25 करोड़ से अधिक लोगों को टीके लग चुके हैं।
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