भारती एयरटेल के निदेशक मंडल ने कंपनी को 21,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी। इस रकम से कंपनी मुख्य रूप से वित्त वर्ष 2022 में समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित देनदारियों का भुगतान करेगी।
निदेशक मंडल ने पात्र इक्विटी शेयरधारकों को राइट इश्यू के जरिये 5 रुपये अंकित मूल्य वाले शेयर जारी करने की अनुमति दी है। भारती एयरटेल के एक अधिकारी ने कहा कि इश्यू का आकार 21,000 करोड़ रुपये तक का होगा। एयरटेल ने कहा, 'रिकॉर्ड तिथि को पात्र शेयरधारकों के पास मौजूदा प्रत्येक 14 इक्विटी शेयर के लिए राइट इश्यू में 1 इक्विटी शेयर जारी किया जाएगा।'
जहां तक इश्यू मूल्य के भुगतान की बात है तो इसके लिए आवेदन करते समय 25 फीसदी का भुगतान करना होगा और शेष राशि दो या अधिक किस्तों में देनी होगी। इसका निर्णय कंपनी के निदेशक मंडल या बोर्ड की समिति द्वारा किया जाएगा, जो कंपनी की जरूरत के हिसाब से 36 महीने के अंदर तय किया जाएगा। भारती एयरटेल का शेयर बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर शुक्रवार को 1.2 फीसदी बढ़त के साथ 593.95 रुपये पर बंद हुआ था।
कंपनी ने एजीआर मुद्दे पर पिछले हफ्ते सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर की थी। भारती एयरटेल ने एजीआर से संबंधित गणना में गणितीय त्रुटियों में सुधार करने की गुहार लगाई है। सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जुलाई को वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें कंपनियों ने एजीआर बकाये की गणना में कथित त्रुटियों में सुधार का आग्रह किया था।
दूरसंचार विभाग के अनुसार वोडाफोन आइडिया पर एजीआर मद में कुल 58,000 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। हालांकि दूरसंचार विभाग की गणना वोडाफोन आइडिया की गणना के हिसाब से 28,700 करोड़ रुपये अधिक है। इसी तरह दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल पर 43,980 करोड़ रुपये एजीआर बकाया तय किया है जिसका कंपनी विरोध कर रही है। भारती एयरटेल का कहना है कि उसने 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है और करीब 13,000 करोड़ रुपये और भुगतान करना है। कंपनी के हिसाब से दूरसंचार विभाग की गणना उसके आकलन से करीब 12,980 करोड़ रुपये अधिक है।
अक्टूबर 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने एजीआर मुद्दे पर सरकार के पक्ष में निर्णय दिया था। यह दूरसंचार कंपनियों को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के तौर पर देना होता है। अदालत ने सभी दूरसंचार कंपनियों को बकाया एजीआर भुगतान करने का आदेश दिया था। अदालत द्वारा वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज ने समीक्षा याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।
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